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AI दक्ष और हाईटेक ड्रोन से लैस होगी SDRF, रिस्पॉन्स टाइम घटाएगी, जल्द मिलेगी नई बटालियन


देहरादून (रोहित सोनी): उत्तराखंड को विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते हर साल आपदा का दंश झेलना पड़ता है. खासकर मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों की स्थिति काफी अधिक दयनीय हो जाती है. ऐसे में आपदा के दौरान जिला प्रशासन, पुलिस विभाग के साथ ही एसडीआरएफ राहत बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

एसडीआरएफ की दक्षता को बढ़ाएगी एआई: यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार एसडीआरएफ को और अधिक सशक्त बनाए जाने पर जोर दे रही है. इसी क्रम में अब एसडीआरएफ की दक्षता को बढ़ाए जाने को लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के साथ ही हाईटेक ड्रोन और अत्यधिक इक्विपमेंट्स को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि एसडीआरएफ के कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके. आखिर क्या है रणनीति? पेश है ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

उत्तराखंड एसडीआरएफ अत्याधुनिक सुविधाओं से हो रही है लैस (Video- ETV Bharat)

आपदा में राहत प्रदान करती है एसडीआरएफ: साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद राज्य में राहत बचाव के लिए एक विशेष यूनिट के गठन की जरूरत महसूस हुई थी. इसके बाद उत्तराखंड में एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) का गठन किया गया. हालांकि, साल 2018 तक एसडीआरएफ की एक ही कंपनी थी. साल 2018 में दो कंपनी और फिर साल 2021 में दो और कंपनी का गठन किया गया. वर्तमान समय में एसडीआरएफ की पांच कंपनियां प्रदेश भर में तैनात हैं. ऐसे में एसडीआरएफ की छठवीं कंपनी के गठन का कार्य चल रहा है. इसके अलावा एसडीआरएफ की एक और बटालियन गठित करने के लिए प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है. वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद बटालियन के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इस बटालियन को कुमाऊं में तैनात किया जाएगा.

उत्तराखंड में आपदा राहत में एसडीआरएफ बैक बोन है (Photo- ETV Bharat)

एसडीआरएफ कमांडेंट ने बताया कैसे होती है टीमों की तैनाती: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एसडीआरएफ के कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने कहा कि इस साल टीमों की तैनाती, पिछले साल के दौरान रिस्क क्षेत्रों और बाढ़ की संवेदनशीलता के आधार पर की गई है. मानसून को देखते हुए विशेष रूप से प्रदेश भर में आठ स्थानों पर 12 सब टीम तैनात की गई हैं. इन सभी टीमों को एक जुलाई से पहले ही तैनात कर दिया गया है. साथ ही सभी जिलों के डीएम और एसपी, एसएसपी से विचार विमर्श करते हुए निर्णय लिया गया है कि मानसून के लिहाज से 8 क्षेत्रों में एसडीआरएस टीम की सबसे अधिक जरूरत है. वहां पर विशेष रूप से टीमों की तैनाती की गई है.

मानसून में एसडीआरएफ की फ्लड रिलीफ टीम की तैनाती: प्रदेश के आठ स्थानों पर 12 सब टीम तैनात की गई हैं. टिहरी जिले के ढालवाला में 2 सब टीम तैनात की गई हैं. टिहरी गढ़वाल जिले की कोटी कॉलोनी में 1 सब टीम तैनात की गई है. उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड में 1 सब टीम तैनात की गई है. देहरादून जिले के डाकपत्थर में 1 सब टीम तैनात की गई है. हरिद्वार जिले के लक्सर में 1 सब टीम तैनात की गई है.

Dehradun SDRF ultra modern

प्रदेश के आठ स्थानों पर एसडीआरएफ की 12 सब टीम तैनात की गई हैं (Photo- ETV Bharat)

एक सब टीम में 7 कर्मचारी होते हैं: उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर में 1 सब टीम तैनात की गई है. चंपावत जिले के टनकपुर में 2 सब टीम तैनात की गई हैं. इसके साथ ही नैनीताल जिले के नैनीताल में 1 सब टीम तैनात की गई है. एक सब टीम में 6 से 7 कर्मचारी तैनात होते हैं.

मानसून में 42 स्थानों पर तैनात है एसडीआरएफ: एसडीआरएफ के कमांडेंट अर्पण यादव ने बताया कि मानसून के दृष्टिगत प्रदेश भर में 42 स्थानों पर एसडीआरएफ तैनात है. इसके साथ ही 24 घंटे एसडीआरएफ का कंट्रोल रूम एक्टिव रहता है. इसके संपर्क में ये सभी टीमें रहती हैं. इन टीमों में डीप डाइविंग में एक्सपर्ट जवान जिन्होंने एडवांस इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग की है, वो भी तैनात हैं. इसके अलावा सभी टीमों के पास लाइफ सेविंग इक्विपमेंट्स और बाढ़ राहत में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट मौजूद हैं. ऐसे में बाढ़ के लिहाज से जो क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं, वहां पर एसडीआरएफ पूरी तरह से एक्टिव है. एसडीआरएफ की कोशिश है कि इस मानसून सीजन के दौरान रिस्पांस टाइम कम से कम हो. वर्तमान समय में एसडीआरएफ का रिस्पांस टाइम 5 मिनट से कम है, जिसे और अधिक कम करने का प्रयास किया जा रहा है.

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कांवड़ यात्रा के दौरान 6 जगहों पर 7 सब टीमें और 55 जलशक्ति तैनात की जाएंगी (Photo- ETV Bharat)

कांवड़ यात्रा के दौरान एसडीआरएफ की तैनाती: कावड़ यात्रा के दौरान एसडीआरएफ की टीमें 6 जगहों पर लगाई जाएंगी. इसके साथ ही 7 सब टीमें और 55 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. कांगड़ा घाट पुल हरिद्वार में 02 सब टीम और 15 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. बैरागी कैम्प घाट हरिद्वार में 01 सब टीम और 08 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. प्रेमनगर आश्रम घाट हरिद्वार में 01 सब टीम और 08 जलशक्ति तैनात की जाएंगी.

जलशक्ति टीमें भी तैनात: नाव घाट रामझूला ऋषिकेश में 01 सब टीम और 08 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. नीलकंठ मन्दिर के आसपास 01 सब टीम और 08 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. कांवड़ रिजर्व ड्यूटी ढालवाला में 01 सब टीम और 08 जलशक्ति तैनात की जाएंगी. एक सब टीम में 6 से 7 कर्मचारी तैनात होते हैं.

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पहाड़ी इलाकों में आपदा और दुर्घटना के समय एसडीआरएफ रेस्क्यू करती है (Photo- ETV Bharat)

एसडीआरएफ की टीमें हैं अलर्ट: हर साल कांवड़ यात्रा शासन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होती है. यही वजह है की कांवड़ यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में एसडीआरएफ की तैनाती की जाती है. इस सवाल पर एसडीआरएफ कमांडेंट ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए हैं कि आगामी कांवड़ यात्रा सुगम, सुव्यवस्थित और सुरक्षित हो, इसको देखते हुए एसडीआरएफ टीमों को पूरी तरह से अलर्ट किया गया है. कांवड़ यात्रा के दौरान 6 स्थानों पर एसडीआरएफ को तैनात किया जाएगा. यह वो स्थान हैं, जो कांवड़ यात्रा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहते हैं. इन टीमों में फ्लड रिलीफ टीम, डीप डाइविंग जवान शामिल हैं. इन टीमों के पास रेस्क्यू से संबंधित सभी इक्विपमेंट्स मौजूद होंगे.

इन इक्विपमेंट्स से लैस हैं तैनात टीमें: एसडीआरएफ की जो टीमें तैनात हैं उनके पास राफ्ट, पैडल के साथ दो आदमी वाली डकी, मोटर बोट, लाइफ जैकेट, थ्रो बैग, फ्लोटिंग रस्सी, लाइफबोट, डाइविंग सूट, अंडरवाटर कम्युनिकेशन सेट, अंडरवाटर ड्रोन, साइड स्कैन सोनार सिस्टम हैं.

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एसडीआरएफ के कमांडेंट अर्पण यादव (Photo- ETV Bharat)

पिछले साल 250 कांवड़ियों को डूबने से बचाया था: एसडीआरएफ के कमांडेंट ने बताया कि पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान एसडीआरएफ ने करीब 250 कांवड़ियों को डूबने से बचाया था. इस साल कांवड़ यात्रा के दौरान पिछले साल के मुकाबले अधिक कांवड़ियों के आने की संभावना है. इसको देखते हुए पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक संख्या में जलशक्ति की तैनाती कांवड़ यात्रा के दौरान की जाएगी. इस साल 7 सब टीम और 55 जलशक्ति की तैनाती की जाएगी. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो और वो सुलभ और सुरक्षित तरीके से जल देकर अपने गंतव्य को रवाना हों, इस पर विशेष जोर दिया जाएगा.

हाईटेक ड्रोन पर भी जोर दे रही है एसडीआरएफ: वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हर सेक्टर में तेजी से पैर पसार आ रहा है. या फिर यूं कहें कि अब हर सेक्टर में इसकी जरूरत महसूस होने लगी है. इसी क्रम में अब एसडीआरएफ भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाईटेक ड्रोन का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है. एसडीआरएफ कमांडेंट ने ने कहा कि-

रिस्पॉन्स टाइम को घटाएगी एसडीआरएफ: एसडीआरएफ के पास अभी पर्याप्त मात्रा में ड्रोन नहीं हैं. ऐसे में एसडीआरएफ की जो भविष्य में कार्ययोजना रहेगी, उसमें हाईटेक ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. ताकि रिस्पांस टाइम को कम से कम किया जा सके और कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके. साथ ही कहा कि रेस्क्यू के दौरान मैन पावर के साथ ही हाईटेक इक्विपमेंट्स की भी जरूरत होती है. वर्तमान समय में एसडीआरएफ के पास बेहतर इक्विपमेंट्स हैं, लेकिन उच्च स्तर के हाईटेक इक्विपमेंट्स खरीदने पर ध्यान दिया जा रहा है.

आपदा मित्रों को ट्रेनिंग देगी एसडीआरएफ: किसी आपदा के दौरान फर्स्ट रिस्पांडर स्थानीय लोग ही होते हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों को आपदा मित्र बनाए जाने की दिशा में सरकार काम कर रही है. इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से प्रदेश के 13 जिलों से 1700 लोगों को चिन्हित किया गया है. ये लोग बतौर आपदा मित्र काम करेंगे. इन सभी आपदा मित्रों की ट्रेनिंग 15 जुलाई से शुरू होने जा रही है. ये ट्रेनिंग 4 से 5 महीने तक चलेगी. इन सभी आपदा मित्रों को जौलीग्रांट में मौजूद एसडीआरएफ बटालियन में विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. ताकि आपदा के दौरान ये आपदा मित्र फर्स्ट रिस्पोंडर के रूप में काम कर सकें.
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