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20 साल बाद एकसाथ दिखे ठाकरे ब्रदर्स, उद्धव बोले- भाषण नहीं, साथ दिखना ज्यादा महत्वपूर्ण


मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में आज शनिवार को एक नई इबारत लिखी गई. करीब 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे एकसाथ एक ही मंच पर नजर आए. दोनों भाई मराठी बनाम हिंदी भाषा को लेकर एकसाथ आए हैं. राज्य में हिंदी को जबरन थोपने को लेकर दोनों भाइयों ने जोरदार विरोध किया. मुद्दा आगे बढ़ते देख सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का आदेश दिया गया था. दोनों भाइयों ने जबरन हिंदी थोपने को मराठी अस्मिता से जोड़ा और इस नीति का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने गुजरात को लेकर भी सवाल उठाया.

रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “वे (भाजपा-शिंदे) हमेशा हमसे पूछते हैं कि हमने बीएमसी में अपने शासन के दौरान मुंबई में मराठी लोगों के लिए क्या किया. अब हम सवाल पूछ रहे हैं: आपके शासन के पिछले 11 वर्षों में, आपने क्या किया है? आपने मुंबई के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को गुजरात में धकेल दिया है. व्यवसाय गुजरात में स्थानांतरित हो रहे हैं. बड़े कार्यालय गुजरात जा रहे हैं. हीरा व्यवसाय पहले ही गुजरात में स्थानांतरित हो चुका है, इसलिए आपने महाराष्ट्र की रीढ़ तोड़ने के सभी प्रयास किए हैं और ऐसा करना जारी रखा है, और आप हमसे सवाल पूछ रहे हैं.”

शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) द्वारा संयुक्त रैली के दौरान उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपस में गले मिले. इसके बाद रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि 20 साल बाद हम दोनों एक साथ आए हैं. जो बाला साहब ठाकरे नहीं कर पाए, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया है. उन्होंने कहा कि आप जबरदस्ती किसी पर हिंदी नहीं थोप सकते हैं. उन्होंने यह भी कह कि हिंदी एक अच्छी भाषा है. वैसे सापरी भाषाएं अच्छी हैं. राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह त्रिभाषा का शिगूफा आप कहां से लेकर आए हैं. कोई भी शख्स महाराष्ट्र को तिरछी नजरों से नहीं देख सकता.

राज ठाकरे ने आगे कहा कि महाराष्ट्र के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह हर हाल में करेंगे. उन्होंने कहा कि हिंदी हमें बुरी नहीं लगती है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष ने कहा कि मुझे हिंदी से कोई शिकायत नहीं है, कोई भी भाषा बुरी नहीं होती. भाषा बनाने में बहुत मेहनत लगती है. मराठा साम्राज्य के दौरान हम मराठी लोगों ने कई राज्यों पर राज किया, लेकिन हमने उन हिस्सों पर मराठी कभी नहीं थोपी. उन्होंने हम पर हिंदी थोपने का प्रयोग शुरू किया और यह परखने की कोशिश की कि अगर हम इसका विरोध नहीं करेंगे तो वे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देंगे.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना-यूबीटी पार्टी एकसाथ हिंदी नीति को थोपने का विरोध कर रही है. इसी सिलसिले में आज शुक्रवार 5 जुलाई को वर्ली के डोम इलाके में एक भव्य विजय रैली आयोजित की जा रही है. सूत्रों से खबर मिली है इस रैली में मराठी लेखक समेत तमाम कलाकार भी शामिल हो सकते हैं. वहीं, एनसीपी शरद पवार गुट के चीफ शरद पवार इस रैली में शामिल नहीं होंगे. वहीं, पूरे राज्य में इस रैली के लिए बड़ी-बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई हैं. इस सभा में ठाकरे भाई क्या बोलेंगे? इस पर अब पूरे राज्य की नजर है. वहीं, पिछले कई दिनों से चर्चा है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आएंगे. इस लिहाज से इस सभा का भी खास महत्व है.

राज के बाद उद्धव ठाकरे ने भी रैली को संबोधित किया. उन्होने कहा कि कुछ लोगों ने हमें साथ ला दिया है. उन्होंने बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह यूज एंड थ्रो की राजनीति करती है. उनकी कोशिश सबको तोड़ने की रहती है. उन्होंने कहा कि ऊपर बैठे 2 लोगों की वजह से यह सब हो रहा है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि 20 साल बाद मैं और राज एकसाथ आए हैं. भाषण नहीं हमलोगों का साथ रहना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि न्याय नहीं मिलेगा तो गुंडागर्दी करेगे.

वहीं, इस विजय रैली पर भारतीय जनता पार्टी भी नजर लगाए बैठी है. बीजेपी सांसद नारायण राणे ने बयान देते हुए कहा कि दोनों ठाकरे भाइयों की नजरे नगर निगम चुनाव पर टिकी हैं. सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस रैली में किसी भी प्रकार के झंडे लाने की मनाही है. सभी लोगों से मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की गई है.

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं. यह हमारी हमेशा से इच्छा रही है कि हमें उन लोगों से लड़ना चाहिए जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं. आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुष को दिशा देंगे.

वहीं, शिवसेना-उद्धव ठाकरे गुट और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की संयुक्त रैली पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है. ऐसे समय में जब देश में विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा दिया जा रहा है और लोगों को उनकी जाति के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है, वे परिवारों को भी बांट रहे हैं. इस विचारधारा वाली सरकार केंद्र और राज्य में बैठी है. ऐसे समय में दो भाई एक साथ आ रहे हैं.

इसके अलावा मनसे नेता शालिनी ठाकरे ने कहा कि इस रैली के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. हमारा एकमात्र एजेंडा महाराष्ट्र, मराठी और महाराष्ट्र की जनता है. इसके लिए दोनों भाई एक साथ आए हैं. महाराष्ट्र की जनता इसके लिए बहुत उत्साहित है.

यह भी जानें

  1. रैली के मंच पर उद्धव और राज ठाकरे के अलावा सहयोगी दलों के प्रमुख भी दिखाई देंगे.
  2. जिस इलाके में यह रैली हो रही है वहां पर 7 से 8 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है.
  3. हॉल और उसके बाहर बड़ी-बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई हैं.
  4. रैली की वजह से यातायात में दिक्कत ना हो इसके लिए पुलिस फोर्स की तैनाती भी की गई है.

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