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फांसी के 5 दिन पहले नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई की उम्मीद बढ़ी, यमनी नागरिक के परिजनों से आज मिलेगी एक्शन कमेटी


एर्नाकुलम: एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मलयाली नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा में अब केवल 5 दिन बाकी हैं. ऐसे में उनकी रिहाई के प्रयास जोरशोर से जारी हैं.

उधर निमिषा के पति टॉमी थॉमस आशान्वित हैं. बुधवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात के बाद टॉमी अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. शाह आज रात तिरुवनंतपुरम पहुंच रहे हैं.

टॉमी ने ईटीवी भारत को बताया, “निमिषा की रिहाई की बहुत उम्मीद है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों इस मामले में हस्तक्षेप कर रही हैं.” कल पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन की मदद से उन्होंने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की, जहाँ राज्यपाल ने निमिषा की मां प्रेम कुमारी से भी वीडियो कॉल के ज़रिए बात की. टॉमी ने राज्यपाल की भागीदारी को लेकर आशा व्यक्त की.

एक्शन कमेटी के पदाधिकारियों के मुताबिक, पीड़ित परिवार को रक्तदान के रूप में ₹7.5 करोड़ का मुआवज़ा देने का वादा किया गया है. अब अंतिम निर्णय उन्हीं पर है. कमेटी के नेताओं का कहना है कि अंतिम समय में माफी मिलने की संभावना बनी हुई है.

यमन में एक्शन कमेटी के कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम आज यमनी नागरिक के परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलने और बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं. एक्शन कमेटी के संयोजक बाबू जॉन ने ईटीवी भारत को बताया कि वह जेल अधिकारियों से सलाह-मशविरा करने के बाद आज यमनी नागरिक के परिवार से मिलेंगे.

निमिषा को उम्मीद है: यह जानने के बाद भी कि जेल अधिकारियों को मौत की सजा देने का आदेश मिल गया है. निमिषा को अब भी उम्मीद है कि वह बच पाएगी. निमिषा अपनी रिहाई के प्रयासों की सीमाओं को समझ चुकी है. हालांकि, निमिषा प्रिया ने पिछले दिनों एक्शन कमेटी के कार्यकर्ताओं के साथ अपनी उम्मीद साझा की है कि यमनी नागरिक का परिवार इस आखिरी घड़ी में रक्तदान स्वीकार करेगा. इसके बाद उसे मौत की सजा से छूट मिल जाएगी.

गौर करें तो मौजूदा हालात में, यमन परिवार द्वारा रक्तदान स्वीकार करने और माफी मांगने पर ही निमिषा की जान बच सकती है.

इस बीच, अदालत ने कल सुप्रीम कोर्ट में निमिषा प्रिया बचाओ एक्शन काउंसिल द्वारा दायर याचिका पर विचार किया. जिसमें निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी.

अदालत ने निर्देश दिया है कि निमिषा के मामले की प्रकृति और तात्कालिकता को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से उसे अवगत कराया जाए. अदालत 14 जुलाई को इस मामले पर फिर से विचार करेगी.

यमन प्रशासन द्वारा इस महीने की 16 जुलाई को निमिषा को फांसी देने के फैसले के बाद एक्शन काउंसिल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

यमन अभियोजन महानिदेशक ने जेल अधिकारियों को मौत की सजा पर अमल का आदेश जारी किया था. पीड़िता के परिवार को रक्तदान के रूप में 7.5 करोड़ रुपये देने का वादा किया गया है और उनके जवाब का इंतजार है. एक्शन कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया है कि इस आखिरी समय में भी निमिषा की रिहाई की संभावना है.

पश्चिम एशियाई संघर्ष जिसने संकट पैदा किया: निमिषा की मां और अन्य लोग एक्शन कमेटी के तहत महीनों से निमिषा को जेल से रिहा करवाने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि, वे मृत यमनी नागरिक के परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलने और बातचीत करने में असमर्थ रहे.

इससे पहले, सेव निमिषा प्रिया फोरम को उम्मीद थी कि ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची द्वारा यमन में हूती विद्रोही समूह के नेता अब्दुल सलाम के साथ की गई बातचीत निमिषा की रिहाई में निर्णायक साबित होगी.

यह भी माना जा रहा था कि ईरान का हस्तक्षेप मृत यमनी नागरिक के परिवार के साथ बातचीत को प्रभावी बनाने में मददगार होगा. हालांकि, बाद में, पश्चिम एशियाई संघर्षों के संदर्भ में, ये वार्ताएं विफल हो गईं.

निमिषा प्रिया के साथ क्या हुआ: पलक्कड़ के कोल्लेंगोडे की मूल निवासी निमिषा प्रिया के खिलाफ मामले से जुड़ी घटना 2017 में हुई थी. यह मामला तलाल अब्दुल महदी नामक एक यमनी मूल निवासी की हत्या से संबंधित है.

शादी के बाद निमिषा प्रिया साल 2012 में नर्स के तौर पर यमन चली गईं. उनके पति टॉमी भी काम के सिलसिले में यमन पहुंच गए थे. निमिषा की ज़िंदगी उस समय संकट में पड़ गई, जब उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दुल महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक शुरू की.

क्लिनिक शुरू होने के बाद, उनके पति और बेटी घर लौट आए, लेकिन इसी बीच यमन में युद्ध छिड़ गया और निमिषा वापस नहीं लौट सकीं. इस तरह निमिषा उस यमनी नागरिक के जाल में फंस गईं.

तलाल अब्दुल महदी ने निमिषा और एक अन्य यमनी लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. तलाल ने उनके पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिए. उसकी प्रताड़ना सहन न कर पाने के कारण निमिषा और उस यमनी महिला ने उन्हें नशीले इंजेक्शन देकर उनके पासपोर्ट लेकर भाग गईं. हालांकि, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और जेल में डाल दिया.

इसी बीच, तलाल का शव उनके क्लीनिक से बरामद हुआ और उन पर हत्या का मुकदमा चलाया गया. निमिषा यमनी अदालत को यह विश्वास नहीं दिला पाई कि उसने तलाल की हत्या नहीं की थीं. इसके साथ ही निमिषा प्रिया को मौत की सजा और यमन की महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

निचली अदालत ने इसके खिलाफ निमिषा की अपील खारिज कर दी. हालांकि यमन ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपील खारिज कर दी. यहां यमनी सुप्रीम कोर्ट ने भी निमिषा को मिली मौत की सजा को बरकरार रखा और खून के पैसे को ही अंतिम कानूनी विकल्प के रूप में छोड़ दिया. 16 जुलाई को निमिषा को फांसी देने की तारीख तय की गई है.

इसके साथ ही निमिषा की जान पर बन आई है. निमिषा प्रिया अब मौत की सजा से तभी बच पाएगी, जब मारे गए व्यक्ति के वारिस उसे माफ कर दें. या खून के बदले पैसा दिए जाएं.

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