देहरादून: आपातकाल दिवस पर पूरे देश भर में गोष्ठी का आयोजन किया गया. उत्तराखंड में भी आपातकाल दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव समेत तमाम लोग मौजूद रहे. इस गोष्ठी में आपातकाल को लेकर चर्चा की गई. गोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नरेन्द्र कुमार मित्तल, रणजीत सिंह जुयाल समेत 10 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित भी किया.
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने कहा भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में आपातकाल का कालखंड हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा. यह फैसला हमेशा की तरह देश को अपनी जागीर समझने वाले एक परिवार की हठधर्मिता और तानाशाही रवैए का परिणाम था. आपातकाल में भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई. न्यायपालिका की गरिमा तार-तार कर करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया गया.
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, देहरादून में आयोजित ‘आपातकाल दिवस गोष्ठी’ में आई देवतुल्य जनता को संबोधित किया। इस अवसर पर माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री @byadavbjp जी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री @mahendrabhatbjp जी भी उपस्थित रहे।
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— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) June 26, 2025
सीएम ने कहा आपातकाल के उन काले दिनों में सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं, सैंकड़ों पत्रकारों सहित हर उस आवाज का निर्ममता से दमन किया जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठ रही थी. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल कर पूरे देश को एक खुली जेल बना दिया था.
सीएम ने कहा नमन है लोकतंत्र के रक्षकों को, जिन्होंने जेल की कालकोठरियों को अपनी तपस्या की तपोभूमि बना लिया. उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी , लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और चंद्रशेखर जैसे असंख्य लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल लगाने के तानाशाही सरकार के उस निर्णय के विरुद्ध हुए आंदोलन को दिशा देने का काम किया. जेल की चारदीवारी में बंद रहते हुए भी इन नेताओं ने युवाओं के भीतर लोकतंत्र के प्रति चेतना जाग्रत करने का कार्य किया
आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सरकार लोकतंत्र सेनानियों के गौरव और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण और जनभागीदारी की भावना ही आज के ‘नए भारत’ की सबसे बड़ी ताकत है। pic.twitter.com/8NRH5s9wYf
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सीएम ने कहा उत्तराखंड की भूमि पर भी ऐसे अनेक सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने साहस का परिचय देते हुए उस जनक्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई थी. बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जाग्रत करने का कार्य किया. जिसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी. यहां तक कि अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा. जिसे 32 साल के संघर्ष के बाद वे दोबारा प्राप्त कर सके. पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा को भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंध रखने के लिए जबरन जेल में डाल दिया गया. उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं जिन्होंने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
सीएम ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आपातकाल के समय भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे. यही कारण है कि उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों के योगदान और आपातकाल के काले अध्याय से आने वाली पीढ़ियों को अवगत कराने के लिए 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने की शुरुआत की.
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