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उत्तराखंड वन्यजीव बोर्ड की 21वीं बैठक, सीएम धामी ने लिया बड़ा फैसला, वन भूमि ट्रांसफर को मिली मंजूरी


देहरादून: उत्तराखंड में करीब 71 फीसदी क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार प्रदेश में मौजूद वनों के संरक्षण के साथ ही वन संपदाओं को लोगों की आजीविका से जोड़ने की प्रयास कर रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को इस दिशा में विशेष प्रयास करने के भी निर्देश दिए हैं.

दरअसल, गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में वन्यजीव बोर्ड की 21वीं बैठक हुई. बैठक में सीएम ने ईकोलॉजी और ईकोनॉमी के बीच संतुलन बनाते हुए अगले 10 सालों के लिए बृहद प्लान तैयार करने के साथ ही वन क्षेत्रों के आस-पास ईको-टूरिज्म की गतिविधयों को बढ़ावा देने पर जोर दिया. साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को कम करने पर फोकस करने को कहा.

साथ ही सीएम धामी ने कहा कि ऐसी घटनाओं में तत्काल मुआवजा राशि वितरण के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए. सीएम ने बैठक में निर्देश दिए कि हल्द्वानी में जू एंड सफारी के निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए. वन विश्राम भवनों का रख-रखाव पर्यटकों की सुविधाओं के अनुरूप किया जाए. इसके अलावा सीएम धामी ने चौरासी कुटिया के जीर्णोद्धार से संबंधित कार्यों में भी तेजी लाने के निर्देश दिये.

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड वन बाहुल्य प्रदेश है, ऐसे में वन संपदाओं को आर्थिकी से जोड़ने के प्रयास किये जाए, इसके लिए वन विभाग और वित्त विभाग बैठक करें. इसके साथ ही महाशीर के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किये जाएं. बैठक में संरक्षित क्षेत्रों और संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तान्तरण और अन्य मामलों से संबंधित कुल 25 निर्णयों पर अनुमोदन दिया गया, जिन्हें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जायेगा.

बैठक में रूद्रनाथ यात्रा मार्ग को ईडीसी के जरिए संचालित किये जाने और केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, गोपेश्वर में मिनी ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर की स्थापना के लिए भी सहमति दी गई. दरअसल, 20वीं बोर्ड बैठक से अभी तक राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की ओर से उत्तराखंड की महत्वपूर्ण 22 परियोजनाओं पर सहमति दी जा चुकी है. बैठक में जानकारी दी गई कि बीते 03 सालों में 75 हजार से अधिक बंदरों का बंध्याकरण किया जा चुका है. इस साल 27 वन प्रभागों में 40 हजार बंदरों के बंध्याकरण का लक्ष्य रखा गया है.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना के बाद प्रभागीय वनाधिकारी मौके पर पहुंचते हुए और पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा राशि देते है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में करीब 19.55 करोड़ रूपये का मुआवजा प्रदान किया गया. पिछले साल राज्य में चार नये ईको पर्यटन जोन शुरू किये गये हैं.

वही, वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है. वन संपदाओं के सही उपयोग और इसे लोगों की आजीविका से जोड़ने की दिशा में निरंतर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें नये डेस्टिनेशन विकसित करने की दिशा में कार्य करने होंगे.

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