नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन गुर्जरों के मामले में सुनवाई की. अपने महत्वपूर्ण निर्णय में हाईकोर्ट ने वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दे दी है. उच्च न्यायालय के इस आदेश से तराई के लगभग 1000 वन गुर्जर परिवार लाभान्वित हो सकेंगे.
वन गुर्जरों की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई: मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी और तराई केन्द्रीय वन प्रभाग में निवास कर रहे वन गुर्जर अली जान, गुलाम रसूल, मो. यूसुफ और गुलाम रसूल की ओर से दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ओर से कहा गया कि वह कई वर्षों से रंगशाली और डोली रेंज में निवास कर रहे हैं. वन विभाग अतिक्रमण के नाम पर उन्हें खेती करने से रोक रहा है. उनकी खेती वाली भूमि पर वन पौधरोपण कर रहा है. यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.
याचिका में वन गुर्जरों ने लगाया ये आरोप: वन गुर्जरों ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारी बिना नोटिस जारी किए यह सब कार्रवाई कर रहे हैं. अभी तक उनके दावों की सुनवाई नहीं की जा रही है, जबकि उन्होंने ग्राम सभा कमेटी को अपने दावों के संबंध में प्रत्यावेदन सौंपा है. इस पर सरकार की ओर से आरोप को गलत बताते हुए कहा गया कि वन गुर्जरों की ओर से अतिक्रमण किया जा रहा है.
हाईकोर्ट ने वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दी: सभी पक्षों की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दे दी. साथ ही निर्देश दिए कि वन गुर्जर खेती वाली भूमि का व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकेंगे. हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है.
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