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प्रोजेक्ट मैनेजर बनकर महिला से ठगे ₹3.20 करोड़, उत्तराखंड STF ने पश्चिम बंगाल से किया गिरफ्तार


देहरादून: फर्जी पहचान और बैंक डिटेल्स का उपयोग कर 3.20 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी करने वाला गिरोह के सरगना को उत्तराखंड एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया. आरोपी ने फर्जी पहचान और बैंक डिटेल्स से खुद को कंपनी के उच्च अधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया और फर्जी पेमेंट की मांग करके धोखाधड़ी की बड़ी साजिश को अंजाम दिया. ठगी के लिए प्रयोग किए गए खाते में 1 दिन में ही करोड़ों रूपये का लेनदेन होना पाया गया है.

मामले के मुताबिक, टिहरी गढ़वाल निवासी पीड़ित ने मई 2025 में शिकायत दर्ज कराई थी कि मई 2025 में एक मैसेज प्राप्त हुआ था. इस मैसेज में व्हाट्सएप नंबर सेव करने का अनुरोध किया गया और अपने आप को मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में प्रस्तुत किया. व्यक्ति ने बताया कि एक नया प्रोजेक्ट है, उसके लिए 1.95 करोड़ की एडवांस पेमेंट की आवश्यकता है. व्यक्ति ने तुरंत पेमेंट प्रोसेस करने को कहा. साइबर ठगों ने पीड़ित से राशि श्याम ट्रेडिंग कंपनी के खाते में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया. जिसके बाद पीड़ित को धोखाधड़ी का संदेह हुआ. हालांकि इस दौरान पीड़ित से फर्जी मैनेजिंग डायरेक्टर, फर्जी पहचान और बैंक डिटेल्स के नाम का गलत उपयोग कर आरोपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपलब्ध कराए गए अलग-अलग बैंक खातों में लगभग कुल 3.20 करोड़ रुपये की धनराशी धोखाधड़ी से जमा करा ली.

जांच के दौरान जानकारी मिली कि साइबर अपराधियों ने घटना में पीड़ित से फर्जी पहचान और मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में प्रस्तुत कर अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर करवाई. पुलिस साइबर टीम ने बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का सत्यापन किया. जिसके बाद मुख्य आरोपी सूरज मौला निवासी परगना पश्चिम बंगाल को चिन्हित किया गया. वहीं इसके बाद उत्तराखंड एसटीएफ ने आरोपी सूरज मौला को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया. तलाशी में आरोपी से घटना में प्रयोग 2 मोबाइल, 3 सिम, एक ड्राइविंग लाइसेंस, एक आधार कार्ड, एक आधार कार्ड की छायाप्रति, 3 डेबिट कार्ड और 2 सिम कार्ड बरामद हुआ.

एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी ने खुद को मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में पेश किया और व्हाट्सएप के जरिए (जनरल मैनेजर, फाइनेंस एंड अकाउंट्स) से संपर्क किया और विश्वास हासिल किया. प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने साइबर अपराध के लिए जिन बैंक खातों का उपयोग किया. उसमें मात्र 1 महीने में ही करोड़ों रुपयों का लेन-देन होना पाया गया है.

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