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 उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समिति का कार्यकाल फिर बढ़ाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के बाद समिति को विस्तार दिया जा सकता है। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की थी। सरकार गठन के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया और समिति से छह महीने में यूसीसी का ड्राफ्ट मांगा।

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल फिर बढ़ाया जा सकता है। समिति को 27 मई तक ड्राफ्ट तैयार करना है, लेकिन अभी और काम बाकी है। इसलिए समिति ने शासन को चार माह का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है।

समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने प्रस्ताव भेजे जाने की पुष्टि की है। उधर, प्राप्त हुए प्रस्ताव पर गृह विभाग ने विचार विमर्श शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के बाद समिति को विस्तार दिया जा सकता है। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की थी। सरकार गठन के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया और समिति से छह महीने में यूसीसी का ड्राफ्ट मांगा।

समिति ड्राफ्ट तैयार नहीं कर पाई तो छह महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया गया। इस हिसाब से समिति को आगामी 27 मई को ड्राफ्ट तैयार कर देना है। लेकिन इस काम में समिति को अभी और वक्त लगेगा। इसलिए समिति ने शासन से ड्राफ्ट फाइनल करने के लिए और समय की दरकार है। समिति को विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद, रखरखाव, नागरिक अधिकार समेत कई अन्य मसलों पर संहिता बनानी है।

समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। समिति ने अभी तक चरणबद्ध ढंग से कार्य किया है। सबसे पहले समिति ने ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव लिए। इसके बाद उसने प्रदेश के विभिन्न इलाकों (जिनमें सीमांत, जनजातीय क्षेत्र भी शामिल हैं) में जाकर 30 से अधिक बैठकें कीं। धर्म गुरुओं, सामाजिक, धार्मिक व अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों से भी सुझाव लिए। करीब सवा दो लाख से अधिक सुझाव जुटाने के बाद समिति ने इनकी समीक्षा और अध्ययन शुरू किया।

समिति को मिले सवा लाख से अधिक सुझावों में कई बहुत दिलचस्प हैं। मसलन कुछ लोगों ने समिति को लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने, महिलाओं को पुरुषों के समान बराबरी का अधिकार देने, पिता की संपत्ति में बेटी को अधिकार देने और लिव इन रिलेशनशिप के मामले में भी सुझाव दिए गए हैं।

शासन को समिति का कार्यकाल चार माह बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि समिति की कोशिश 30 जून तक रिपोर्ट फाइनल करने की रहेगी। सिर्फ 25 प्रतिशत काम शेष रह गया है।

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