बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को वेद ऋचाओं का वाचन समाप्त कर दिया गया। अब अगले दो दिनों तक केवल गुप्त मंत्रों से ही पूजा-अर्चना की जाएगी। बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे।
13 नवंबर से कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। पहले दिन बदरीनाथ मंदिर परिसर स्थित गणेश मंदिर के कपाट विधिपूर्वक बंद किए गए। दूसरे दिन, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी शास्त्रों के अनुसार बंद किए गए। शुक्रवार को तीसरे दिन धाम में वेद ऋचाओं का वाचन शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
पंचपूजा के तीसरे दिन, प्रात:काल रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी और बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट और अमित बंदोलिया ने वेद उपनिषद को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में रावल के सुपुर्द किया। वहीं, धार्मिक पुस्तकों को मंदिर के गर्भगृह से धर्माधिकारी वेदपाठियों के सुपुर्द कर दिया गया। अब अगले दो दिनों तक गुप्तमंत्रों से बदरीनाथ की अभिषेक पूजा और अन्य सामान्य पूजाएं संपन्न की जाएंगी।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं ने अलकनंदा और तप्तकुंड में पवित्र स्नान किया, जिसके बाद उन्होंने धाम के दर्शन किए। प्रात: काल से ही तप्तकुंड में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी।
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार, हर साल की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा पर बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। शुक्रवार को तप्तकुंड से लेकर गांधी घाट तक श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा लगा रहा।