Homeतकनीकभारत के पहले ऑटोमोटिव डिजाइन स्कूल INDEA की स्थापना, नितिन गडकरी ने...

भारत के पहले ऑटोमोटिव डिजाइन स्कूल INDEA की स्थापना, नितिन गडकरी ने रखी आधारशिला


हैदराबाद: भारत में पहला ऑटोमोटिव डिज़ाइन स्कूल शुरू होने वाला है, जिसका नाम इंडियन स्कूल फॉर डिज़ाइन ऑफ़ ऑटोमोबाइल्स (INDEA) रखा जाएगा. इस स्कूल का परिचालन साल 2026 में शुरू किया जाएगा. INDEA के संस्थापक और XADM के अध्यक्ष अविक चट्टोपाध्याय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि XLRI के सेंटर फॉर ऑटोमोबाइल डिज़ाइन एंड मैनेजमेंट (XADM) द्वारा इस स्कूल को विकसित किया गया है. यह स्कूल ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए एक विशिष्ट भारतीय डिज़ाइन फिलॉसफी विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.

इस ऑटोमोटिव स्कूल की आधारशिला रखने के लिए XLRI दिल्ली-एनसीआर परिसर में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, XLRI दिल्ली-एनसीआर के निदेशक केएस कासिमिर और अविक चट्टोपाध्याय की वर्चुअल समारोह आयोजित किया गया, जिसमें ‘भूमिपूजन’ और ‘शिलान्यास’ किया गया है.

INDEA पाठ्यक्रम, कक्षाएं, कोर्स
चट्टोपाध्याय ने इस समारोह के दौरान कहा कि “हम जो बना रहे हैं वह क्लास नहीं है, हम एक कार्यशील स्टूडियो बना रहे हैं. कागज़ पर ड्राइंग से लेकर CAD, 3D मॉडलिंग, स्केल क्ले मॉडलिंग, 1:1 क्ले मॉडलिंग, प्रोटोटाइपिंग तक – सब कुछ वहां पढ़ाया जाएगा.” पाठ्यक्रम डिजाइन और प्रबंधन को इंटीग्रेट करेगा और वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जाएगा.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (फोटो – IANS Photo)

उन्होंने कहा कि “पहला डिज़ाइन प्लस प्रबंधन है. दूसरा, यह विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जाता है. और तीसरा, यह वास्तविक दुनिया के कामकाजी माहौल में है. स्कूल में कोई कक्षा नहीं है, केवल एक बड़ा हॉल है, जहां 25 छात्र बैठेंगे. इसके अलावा, वे क्ले मॉडलिंग क्षेत्र, CAD-CAM क्षेत्र, प्रोटोटाइपिंग कार्यशाला या एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग लैब में होंगे.”

जापान, जर्मनी और भारत की होंगी फैकेल्टी
पहले वर्ष में, स्कूल 25 छात्रों को प्रवेश देगा और इसमें जापान, जर्मनी और भारत के शिक्षक शामिल होंगे. छात्र मिलकर एक कार्यशील प्रोटोटाइप बनाकर अपना दो वर्षीय कोर्स पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि “अंतिम सत्र एक परियोजना होगी, जिसमें 25 छात्रों का पूरा बैच एक कार्यशील प्रोटोटाइप बनाएगा. इसे बनाएं. इसे दुनिया को दिखाएं.”

चट्टोपाध्याय ने भारत को केवल ‘मेक इन इंडिया’ से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि “मेक इन इंडिया तब तक काम नहीं करेगा, जब तक आप इसे ‘डिजाइन इन इंडिया’ के साथ नहीं जोड़ते. जब तक आप डिजाइन को निवेश के रूप में नहीं लेंगे, तब तक आप इसे हमेशा एक खर्च के रूप में ही देखेंगे. हम उत्पादन इंजीनियरिंग को निवेश के रूप में लेते हैं. हम एक नई असेंबली लाइन को निवेश के रूप में लेते हैं. हम डिजाइन को भी उसी तरह क्यों नहीं लेते?”

एक नजर