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अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रॉइड दिवस: जानिए इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना और कुछ खास बातें


हैदराबाद: अगर आप अंतरिक्ष और वहां घूमने वाले एस्ट्रॉइड्स के बारे में जानने में रुचि रखते हैं तो आपको आज के दिन का महत्व पता होगा. हर साल आज यानी 30 जून के दिन को इंटरनेशनल एस्ट्रॉइड डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को यूनाइटेड नेशन ने आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल एंस्ट्रॉइड डे के रूप में एप्रूव किया था. इसका मकसद लोगों को एस्ट्रॉइड्स के बारे में जागरूक करना है और पृथ्वी को एस्ड्रॉइड्स से होने वाले संभावित इंपैक्ट से बचाने की इंपोर्टेंस बताना है.

एस्ट्रॉइड्स क्या होते हैं?

एस्ट्रॉइड्स आकार में छोटे होते हैं. यह पहाड़ी ऑब्जेक्ट होते हैं, जो पृथ्वी और बाकी ग्रहों की तरह ही सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. असल में, एस्ट्रॉइड्स लगभग 4.6 बिलियन साल पहले सोलर सिस्टम के बनते वक्त बचे हुए टुकड़े हैं. ये बाकी ग्रहों की तरह ही सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, लेकिन ये साइज में ग्रहों से काफी छोटे होते हैं. ज्यादातर एस्ट्रॉइड्स मेन एस्ट्रॉइड बेल्ट में रहते हैं. यह बेल्ट मंगल (Mars) और ब्रहृस्पति (Jupiter) के ऑर्बिट के बीच में मौजूद है.

30 जून का इतिहास

यूनाइटेड नेशन्स की जनरल एसेंबली ने 6 दिसंबर 2016 को तय किया था कि हर साल 30 जून को इंटरनेशनल एस्ट्रॉइड डे मनाया जाएगा. इसके लिए 30 दिन का इसलिए चुना गया था, क्योंकि 1908 में रूस के साइबीरिया में Tunguska एस्ट्रॉइड इंपैक्ट हुआ था, जो पृथ्वी की इतिहास में अभी तक का सबसे बड़ा एस्ट्रॉइड इंपैक्ट था.

इस कारण यूनाइटेड नेशन की जनरल एसेंबली ने तय किया कि हर साल 30 जून को इंटरनेशनल एस्ट्रॉइड डे मनाने के जरिए इसके खतरे को समझने, उसके लिए जागरूकता फैलाई जाएगी. इसके अलावा इस दिन को United Nations Office for Outer Space Affairs (UNOOSA), Committee on the Peaceful Uses of Outer Space (COPUOS), aur International Asteroid Warning Network के काम को भी प्रमोट करता है.

Asteroids कैसे बने?

सोलर सिस्टम बनने के वक्त डस्ट पार्टिकल्स आपस में टकराए और मिलकर एक बड़े आकार में clumps (planetesimals) बन गए. ये planetesimals अपनी ग्रेविटी से धूल को अपनी ओर खींचते हैं और बड़े बनते जाते हैं. इनसे कुछ प्लेनेट्स बन गए और बाकी बचे हुए एस्ट्रॉइड्स बन गए.

उस दौरान कुछ एस्ट्रॉइड्स एक-दूसरे से टकराए तो उनके छोटे-छोटे टुकड़े हो गए और कुछ धीरे-धीरे हुए कोलाइज्स से मिलकर अज़ीब आकार के एस्ट्रॉइड्स बन गए.

इन एस्ट्रॉइड्स के पृथ्वी से टकराने की संभावना के बारे में कहा जाता है कि बहुत सालों के बाद कोई बड़ा एस्ट्रॉइड पृथ्वी से टकरा सकता है. उसके बाद क्रेटर्स बन सकते हैं, जैसे एरिजोना का बैरिंगर क्रेटर, जो 50,000 साल पहले 30-50 मीटर के एस्ट्रॉइड्स के टकराव से बना.

क्या कोई एस्ट्रॉइड पृथ्वी से टकराएगा?

नासा के सेंटर ऑफ नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टीडीज़ (CNEOS) के मुताबिक, अगले 100 सालों या उससे ज्यादा वक्त तक किसी बड़े एस्ट्रॉइड के पृथ्वी से टकराने की संभावना काफी कम है. वैज्ञानिक एस्ट्रॉइड्स के ऑर्बिट्स को ट्रैक करते हैं और एस्ट्रोमेटरी टेक्निक से उनकी मूवमेंट का पता लगाते हैं, जो ऑर्बिट को कुछ किलोमीटर तक सटीक अनुमान लगाते है.

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