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भारत के पहले एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा ने शुभांशु शुक्ला और उनके क्रू को दी बधाई, 1984 की अंतरिक्ष यात्रा को किया याद


हैदराबाद: Axiom Mission 4 के जरिए कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट्स पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गया, जिनका नाम शुभांशु शुक्ला है और वो इस वक्त सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सुर्खियां बने हुए हैं. शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले लेकिन अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट बने हैं. भारत की ओर से सबसे पहले अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट का नाम राकेश शर्मा है, जो करीब 41 साल पहले अंतरिक्ष में गए थे. उनके बाद अब शुभांशु शुक्ला न सिर्फ अंतरिक्ष बल्कि स्पेस स्टेशन में भी चले गए हैं.

शुभांशु समेत एक्सिम मिशन 4 के बाकी क्रू मेंबर्स को लेकर ड्रैगन कैप्सूल स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक गया है, जिसे स्पेसएक्स के Falcon 9 Rocket के जरिए 25 जून 2025 को भारतीय समयानुसार 12:01 PM पर अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड 39ए से लॉन्च किया गया था. उसके बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 26 जून 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 4:01 PM IST पर ISS के Harmony मॉड्यूल से डॉक किया और फिर करीब 5:54 PM IST पर हैच खोलने और बाकी सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद शुभांशु शुक्ला समेत इस मिशन के सभी एस्ट्रोनॉट्स ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एंट्री ली.

राकेश शर्मा ने दी बधाई

शुभांशु शुक्ला के मिशन लॉन्च होने के बाद भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी उन्हें बधाई दी, जो 1984 में ही अपने पीठ पर भारत का तिरंगा लेकर अंतरिक्ष गए थे और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया था.

पीटीआई द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो से मिली जानकारी के मुताबिक राकेश शर्मा ने शुभांशु शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में कहा, “आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं. क्रू को मेरी ओर से शुभ यात्रा! खिड़की से बाहर देखने में जितना समय बिता सको, बिताना. मज़े करो दोस्तों!”

शुभांशु शुक्ला को बधाई देने के बाद भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक पॉडकास्ट का आयोजन किया, जिसमें राकेश शर्मा ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा का एक्सपीरियंस शेयर किया. उन्होंने बताया कि कैसे 1984 में भारत और सोवियत के एक जॉइंट स्पेस मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के एक युवा टेस्ट पायलट यानी उन्हें चुना गया था. उन्होंने बताया,

“मैं भारतीय वायुसेना में था और मैंने विशेषज्ञता के रूप में टेस्ट पायलट की ट्रेनिंग ली थी. जब सिलेक्शन प्रोसेस शुरू हुआ तो उन्होंने टेस्ट पायलटों में से सिलेक्शन किया. मैं जवान था, फिट था और मेरे पास सिलेक्शन के लिए सभी जरूरी योग्यताएं थीं. इस कारण मैं भाग्यशाली रहा कि मेरा सिलेक्शन हो गया.”

उन्होंने आगे बताया,

“सिलेक्शन के बाद मुझे मॉस्को के पास स्टार सिटी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, जो 18 महीनों तक चली थी. चूंकि पूरी ट्रेनिंग रूसी भाषा में होनी थी, जिसमें अंतरिक्ष के चालक दल और मिशन कंट्रोल के साथ कम्यूनिकेशन भी शामिल थी. इस कारण मुझे रूसी भाषा सीखनी पड़ी.”

राकेश शर्मा ने किया भारत की खूबसूरती का वर्णन

राकेश शर्मा ने बताया कि, उन्होंने सिर्फ दो महीनों में रूसी भाषा सीख ली थी. उनकी यह ट्रेनिंग 1984 में भारत-सोवियत अंतरिक्ष मिशन के लिए थी, जो आठ दिनों का था. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री ने बताया कि, उस मिशन में हमने भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किए गए प्रयोग किए थे. “हमने भारतीय निर्मित डिवाइसों का उपयोग किया और उसके रिजल्ट्स को भारत के डिवाइसों पर दर्ज कराया था.”

भारत के पहले एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा, “वह बहुत संदुर था…क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे देश में सब कुछ है. हमारे पास लंबा समुद्री तट है, घाट हैं, मैदान हैं, रेगिस्तान हैं, घने जंगल हैं, पहाड़ियां हैं और हिमालय है. इतने सारे खूबसूरत नज़ारे, अलग-अलग रंगों में, अलग-अलग बनावट के साथ दिखते हैं.”

राकेश शर्मा ने आज के युवाओं को स्पेस एक्सप्लोरेशन की चुनौतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया. उन्होंने कहा कि भले ही टेक्नोलॉजी एडवांस हो रही हो, लेकिन अंतरिक्ष में इंसानों के अनुभव, भावनात्मक और मानसिक तौर पर अभी भी काफी बदलते हैं. अंत में, उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (विश्व एक परिवार है) के दर्शन के साथ, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और वैश्विक एकता को बढ़ावा देने में नेतृत्व करेगा. उन्होंने कहा कि, इसरो ने हमेशा डेटा शेयर किए हैं, जो विश्व को एक परिवार माने की विचारधारा दर्शाता है. उन्हें विश्वास है कि भारत इस दिशा में पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा और अपने मिशन में सफल होगा.

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