नई दिल्ली: भारत की स्पेस एजेंसी और भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है. भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी समेत कुल चार देशों के एक जॉइंट मिशन Axiom Mission 4 के तहत आज भारत के एस्ट्रोनॉट और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी है. शुभांशु राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं, जबकि अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनलेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे.
Axiom Mission 4 के तहत Falcon 9 Rocket को आज नसा के केनैडी स्पेस सेंटर (जो अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित है) से भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे लॉन्च किया गया. यह रॉकेट अपने साथ ड्रैगन कैप्शूल को लेकर गया, जिसमें शुभांशु शुक्ला समेत चारों एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं. Ax-4 क्रू में पायलट शुभांशु शुक्ला के साथ अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन, हंगरी के मिशन स्पेशलिस्ट तिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की-विश्नेव्स्की शामिल हैं. इस मिशन के तहत ड्रैगन कैप्शूल 26 जून 2025 को भारतीय समयानुसार करीब 4:30 PM पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को Harmony मॉड्यूल से डॉक कर सकता है.
भारत के लिए ऐतिहासिक पहल
भारत ने इसरो के जरिए अंतरिक्ष की दिशा में कई उपलब्धियां हासिल की है और पिछले कई दशकों में काफी विकास किया है. इस बात का प्रमाण भारत के कई चंद्रमा मिशन्स और पहली प्रयास में ही मंगल ग्रह तक सफलतापूर्वक पहुंचने वाला मिशन है. अब भारत इस दिशा में और भी आगे बढ़ रहा है और भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में लगा हुआ है, जिसका नाम गगनयान मिशन है. उस मिशन में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में से एक शुभांशु शुक्ला भी हैं, जो इस वक्त नासा और इसरो के एक जॉइंट मिशन यानी Axiom Mission 4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गए हैं. उन्होंने अंतरिक्ष में जाने के बाद कहा कि यह पूरे भारत के लिए गौरव का क्षण है, क्योंकि इस मिशन के तहत भारत ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत कर रहा है.
भारत की इस खास उपलब्धि से भारत का वैज्ञानिक समुदार भी काफी गर्व महसूस कर रहा है. इस दौरान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) की सचिव और CSIR की महानिदेशक एन. कलैसेल्वी गर्व महसूस करते हुए और खुशी जाहिर करते हुए ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
उन्होंने कहा, “पहले हम सोचते थे कि किसी स्थान तक पहुंचना ही अपने-आप में एक बड़ा चैलेंज है, लेकिन अब हमें अतिरिक्त क्षमता और मदद मिल रही है, जिससे हम ना सिर्फ अंतरिक्ष में पहुंच रहे हैं, बल्कि वहां प्रयोग भी कर रहे हैं कि क्या हम रह सकते हैं या नहीं? क्या हम वहां जीवन जी सकते हैं? क्या हम वहां पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं को रख सकते हैं?”
उन्होंने आगे कहा कि, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान का दृष्टिकोण अब काफी डेवलप हो चुका है, जो अब सिर्फ ऑर्बिट की सीमाओं तक ही नहीं, बल्कि उससे आगे बढ़कर अंतरिक्ष में टिकाऊ जीवन की कल्पना करने तक भी पहुंच गया है. एक समय था, जब चांद पर उतरना असंभव लगता था, लेकिन अब वो हो चुका है. अब अगला सवाल है कि क्या हम वहां पृथ्वी की तरह रह सकते हैं? इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें जिनमें बायोमेडिकल रिसर्च से लेकर अंतरिक्ष में खेती करने तक का प्रयोग शामिल हैं.
इसके बारे में कलैसेल्वी ने कहा, “इतने सारे प्रयोगों की संख्या, साहस, प्लानिंग और वैज्ञानिक परिपक्वता काफी मायने रखती है. इन प्रयोगों के परिणामों से काफी गर्व होगा. भारतीय विज्ञान इनोवेशन कर रहा है और फिर हम उसे अंतरिक्ष में आज़मा रहे हैं.”
Axiom Mission 4 के हाइलाइट्स
मुख्य बिंदु | विवरण |
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शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक योगदान | शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक यान उड़ाने वाले पहले भारतीय बने – एक गर्व का क्षण |
मिशन लॉन्च | Axiom Mission 4 का सफल प्रक्षेपण 25 जून को दोपहर 12:01 बजे IST पर हुआ |
भारत के 7 वैज्ञानिक प्रयोग | भारत ने मिशन में 7 अनूठे प्रयोग जोड़े, जिनमें देश में विकसित स्पेस फूड किट्स भी शामिल हैं |
वैज्ञानिक और कूटनीतिक छलांग | यह मिशन भारत की स्पेस डिप्लोमेसी और वैज्ञानिक दृष्टि के नए युग की शुरुआत करता है |
ISS पर “देसी लाइफ”
आपको बता दें कि भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अपने साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर कई खास चीज लेकर गए हैं, जिनमें से एक भारतीय खाद्य किट्स, जिन्हें सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है. इन किट्स ने आम लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिकों का भी काफी ध्यान आकर्षित किया है.
इसके बारे में कैलासेल्वी ने कहा, “मैं BIRAC संस्थानों और उनकी मदद करने वाले सहयोगियों को हार्दिक बधाई देती हूं, जिन्होंने इन खाद्द किट्स को डेवलप करने में काफी बड़ी भूमिका निभाई. उनका अनुभव हमें भविष्य में और बेहतर बनने और स्पेस फ्रेंडली फूड सॉल्यूशन्स तैयार करने में मदद करेगा. अब भारत का भोजन और भारत का लाइफस्टाइल भी अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी हैं.”
गगनयान मिशन को होगा फायदा
इस मिशन में शुभांशु शुक्ला के शामिल होने से भारत को आगामी स्पेस मिशन गगनयान में काफी मदद मिलेगी. शुभांशु शुक्ला गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों में से एक होंगे. ऐसे में गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में जाने से पहले Axiom Mission-4 के जरिए शुभांशु शुक्ला का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाना भारत के पहले ह्यूमन स्पेस मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. गगनयान मिशन का लक्ष्य 2026 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भारत में बने स्वदेशी स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष में भेजना है.
इसके बारे में कलैसेल्वी ने कहा कि, “ऐसे हरेक मिशन से हमारी क्षमता और आत्मविश्वास दोनों में बढ़ोतरी होती है. ये छोटे-छोटे कदम हैं, जो मिलकर ही उस बड़ी उपलब्धि की ओर तेजी से लेकर जाएंगे. इससे हम भविष्य में स्पेस मिशन्स के सिर्फ भागीदार नहीं बल्कि नेतृत्वकर्ता बनेंगे. फिर चाहे अंतरिक्ष स्टेशन की बात हो या फिर चांद पर बेस बनाने की या इंटरप्लेनटटरी जर्नी (एक ग्रह से दूसरे ग्रह की यात्रा) करने की.”
Ax-4 मिशन में आगे क्या होगा?
इस मिशन के तय शेड्यूल के अनुसार ड्रैगन 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम करीब 4:30 बजे के आसपास Harmony मॉड्यूल से डॉक करेगा. Harmony मॉड्यूल, अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का एक केंद्रीय कनेक्शन मॉड्यूल है. इसे आधिकारिक तौर पर Node 2 भी कहा जाता है. यह मॉड्यूल ISS कई दूसरे हिस्सों को आपस में जोड़ता है और आने वाली नए स्पेसक्रॉफ्ट्स को भी जोड़ने यानी डॉक करने का भी काम करता है.
इस प्रक्रिया के बाद की सभी प्रक्रियाओं को चेक करके पूरा किया जाएगा और सबकुछ ठीक होने के बाद शुभांशु शुक्ला समेत मिशन के चारों एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर जाएंगे. वहां पहले से मौजूद एस्ट्रोनॉट्स उनका स्वागत करेंगे. उसके बाद एक छोटा सेफ्टी ब्रीफिंग और मेडिकल चेकअप किया जाएगा. इन प्रक्रियाओं के बाद सभी एस्ट्रोनॉट्स Axiom Mission 4 के उद्देश्य को पूरा करने में जुट जाएंगे. आपको बता दें कि यह 14 दिनों का मिशन है. इस दौरान वो बहुत सारे प्रयोग करेंगे.
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