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AC का तापमान अब 20°C से नीचे नहीं, क्या इससे पर्यावरण को होगा फायदा?


हैदराबाद: आजकल भीषण गर्मी के मौसम से खुद को बचाए रखने के लिए काफी लोग एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल करते हैं. एसी टेक्नोलॉजी की मदद से रूम के तापमान को कम कर देता, इससे लोगों को अपने कमरे के अंदर गर्मी से राहत मिलती है.ऐसे में कई लोग एसी के तापमान को काफी कम यानी 16 डिग्री सेल्सियस तक भी कर देते हैं. एसी और एसी के कम तापमान से लोगों को अपने कमरे में तो गर्मी से राहत मिल जाती है, लेकिन उसके कारण पर्यावरण का काफी नुकसान होता है. इससे पर्यावरण और पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता है. इससे बचने के लिए दुनिया के कई देश एसी के तापमान को सीमित और नियंत्रण करने के लिए नियम बना रहे हैं. इस कड़ी में अब भारत का नाम भी जुड़ गया है.

अब भारत की सरकार भी एयर कंडीशनर के तापमान को कंट्रोल करने की प्लानिंग कर रहे हैं. इसी प्लानिंग के तहत सरकार ने भी एसी के तापमान को 20°C से 28°C के बीच में रखने का नियम लागू किया है. केंद्रीय मंत्री ने ऐलान किया है कि लोग एसी के तापमान को 20°C से कम या 28°C से ज्यादा न नहीं कर सकते. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों तथा ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि गर्मी के मौसम में बिजली की खपत बढ़ने के कारण “तापमान मानकीकरण” जरूरी है. इस कारण ऐसा प्रस्ताव दिया गया है कि एसी के तापमान को 20°C और 28°C के बीच रखा जाए. आइए हम आपको एसी के तापमान को कंट्रोल करने के पीछे कुछ टेक्निकल कारणों के बारे में बताते हैं.

AC Temperature कंट्रोल करना क्यों जरूरी है?

बिजली की बचत: जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि बहुत सारे लोग एसी को बहुत कम तापमान, जैसे 16°C पर इस्तेमाल करते हैं. इससे बिजली की आपूर्ति पर काफी दबाव पड़ता है. ऐसे में अगर एसी को तापमान को कंट्रोल किया जाएगा, तो इससे बिजली की खपत कम होगी.

पर्यावरण संरक्षण: एसी में इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजरेंट काफी गर्म गैसों को रिलीज़ करती है, जो पर्यावरण में फंसकर ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ाती है. ऐसे में अगर एसी टेम्परेचर को कंट्रोल किया जाएगा, तो एसी से निकलनी वाली नुकसानदायक गैस भी कम होगी.

ग्लोबल रिकॉर्ड: अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस वक्त दुनिया भर में करीब 2 अरब एसी यूनिट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें से 50% सिर्फ अमेरिका और चीन में ही हैं. इसके अलावा ग्लोबल लेवल पर बिल्डिंग्स में खर्च होने वाली 20% बिजली कूलिंस सिस्टम के प्रोडक्ट्स जैसे एसी, पंखे और वेंटिलेशन में जाती है.

एसी का यूज़ और पर्वावरण पर उसका इफेक्ट

भारतीय अनुसंधान और नीति संस्थान, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) की रिसर्च के मुताबिक, एयर कंडीशनर को ज्यादा तापमान जैसे 27°C पर चलाने से 18 या 16°C जैसे कम तापमान की तुलना में काफी कम बिजली खर्च होती है. TERI की एक रिसर्च के मुताबिक, एसी को 24°C पर सेट करने से बिजली की बजत भी होती है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आ सकती है.

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) की रिपोर्ट के अनुसार, AC का तापमान 1°C बढ़ाने से बिजली की खपत में लगभग 6% की कमी आती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर लोगों ने एसी के तापमान को 16 से बढ़ाकर 26°C रखना शुरू कर दिया तो करीब 60% बिजली बचाई जा सकती है.

AC और CO2 उत्सर्जन

TERI के अनुसार, अगर भारत में एसी की एवरेज एफिशिएंसी 2015 के स्तर से 30% बढ़ जाती है, तो 2030 तक हर साल CO2 उत्सर्जन में करीब 180 मिलियन मीट्रिक टन की कमी आ सकती है. इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (IECC) के वैज्ञानिकों के रिसर्च के अनुसार, भारत में हर साल करीब 1 से 1.5 करोड़ एसी लगाए जाते हैं और इस हिसाब से अगले दस सालों में भारत में करीब और 13 से 15 करोड़ एसी यूनिट्स इंस्टॉल किए जा सकते हैं. इस कारण अगर सरकार ने समय रहते पॉलिसी नहीं बनाई और कोई प्लान नहीं बनाया तो 2030 तक एसी से 120 गीगावाट और 2035 तक 180 गीगावाट की पीक पावर डिमांड हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो उस वक्त तक बिजली की कुल अनुमानित मांग का लगभग 30% हिस्सा सिर्फ एसी के लिए इस्तेमाल होगा.

हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)

पहले एसी में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) का उपयोग होता था, जो गैर-विषैले और गैर-ज्वलनशील थे, लेकिन ये ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाते थे और ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ाते थे. अब एसी में क्लोरोफ्लोरोकार्बन की जगह पर हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs) और HFCs का इस्तेमाल किया जाता है. हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन से ओज़ोन लेयर को तो नुकसान नहीं होता है, लेकिन ग्रीनहाउस गैसों का मिश्रण होने के कारण ये वातावरण में इन्फ्रारेड रेडिएशन को रोककर पृथ्वी के तापमान को बढ़ा देती है. इससे भी पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है.

एसी का जलवायु पर प्रभाव

एसी की बिजली खर्च और रेफ्रिजरेंट्स के यूज़ से पर्यावरण के साथ-साथ जलवायु पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. इसके कारण भी ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती है. एसी में इस्तेमाल होने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन से तो पर्यावरण को नुकसान होता ही है. इसके साथ-साथ एसी को चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती है और बिजली को बनाने के लिए तेल, गैस, कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन की जरूरत होती है और जीवाश्म ईंधन ओज़ोन लेयर को नुकसान पहुंचाते हैं. Our World in Data की रिपोर्ट के अनुसार, AC वैश्विक बिजली खपत का 7% हिस्सा लेते हैं.

किन देशों में कितना एसी टेम्परेचर?

देश ग्रीष्मकाल में ए.सी. का न्यूनतम तापमान / प्रतिबंध लागू क्षेत्र
इटली 25°C (77°F) हवाई अड्डे, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, संग्रहालय, शॉपिंग सेंटर
ग्रीस 26°C (78.8°F) हवाई अड्डे, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, संग्रहालय, शॉपिंग सेंटर
स्पेन 27°C (80°F) खुदरा व्यवसाय, डिपार्टमेंट स्टोर, शॉपिंग सेंटर, सांस्कृतिक स्थल, सिनेमा, रेलवे टर्मिनल, हवाई अड्डे
चीन 26°C (79°F) सार्वजनिक क्षेत्र, सरकारी कार्यालय
बेल्जियम 27°C सार्वजनिक संरचनाएँ
बांग्लादेश प्रति दिन 5 घंटे ए.सी. पर प्रतिबंध सामान्य रूप से सभी क्षेत्रों में लागू

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