हैदराबाद: नासा ने एक नए इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट को ढूंढा है, जो मंगल (Mars) की ऑर्बिट से होकर गुजरने वाला है और इस साल के अंत तक में वो सूरज के सबसे करीब 1.4 AU (astronomical unit) यानी करीब 21 करोड़ किलोमीटर की पर पहुंच जाएगा. यह ऑब्जेक्ट शायद एक धूमकेतु (Comet) है. इसे सबसे पहले नासा के फंड से चलने वाले सर्वे टेलीस्कोप ने चिली के Rio Hurtado में देखा था. इस सर्वे टेलीस्कोप का नाम ATLAS (Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System) है.
यह नया और अनजान धूमकेतु इंटरस्टेलर स्पेस में आ रहा है और Sagittarius तारामंडल की दिशा से सूरज की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों ने आधिकारिक तौर पर इसे 3I/ATLAS नाम दिया गया है. यह इस वक्त सूर्य से करीब 4.5 AU यानी करीब 67 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है.
नासा ने जानकारी दी है कि पहली बार इसकी खोज करने के बाद, एस्ट्रोनॉमर्स ने दुनिया भर के तीन अलग-अलग ATLAS telescopes और कैलिफोर्निया के Palomar Observatory (एक प्रसिद्ध खगोलीय वेधशाला) में Zwicky Transient Facility के पुराने ऑब्ज़ेरवेशन्स की भी जांच की. ये प्री-डिस्कवरी ऑब्ज़रवेशन्स हैं, जो 14 जून से पहले तक के हैं.इसके बाद कई टेलीस्कोप्स ने और भी कई ऑब्ज़रवेशन्स की पुष्टि की है.
इस वक्त यह नया धूमकेतु 3I/ATLAS सूरज से करीब 4.5 AU (लगभग 67 करोड़ किलोमीटर) दूर मौजूद है. नासा ने अनुमान लगाया है कि यह धूमकेतु 30 अक्टूबर 2025 तक सूरज से सबसे करीब होगा. यह पृथ्वी की ऑर्बिट में नहीं आएगा, लेकिन मंगल ग्रह की ऑर्बिट से होकर गुजरेगा. नासा ने इसके लिए एक डायग्राम भी शेयर किया है, जिसमें 3I/ATLAS की सोलर सिस्टम में ट्रेजैक्टरी दिखाई गई है. हमने नीचे इस इमेज को अटैच किया है:
इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट की ट्रेजैक्टरी (फोटो क्रेडिट: NASA/JPL-Caltech)
क्या इस धूमकेतु से पृथ्वी को कोई खतरा है?
नासा के द्वारा खोजे गए इस नए और अज्ञात ऑब्जेक्ट के बारे में आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि क्या इनसे पृथ्वी को कोई खतरा है. नासा ने इसके बारे में साफ किया है कि, इन इंटरस्टेलर कॉमेट से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है. यह पृथ्वी से कम से कम 1.6 AU यानी करीब 24 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होगा.
नासा ने बताया कि दुनियाभर के एस्ट्रोनॉमर्स इस इंटरस्टेलर कॉमेट की शेप और फिज़िकल प्रोपर्टीज़ की जांच कर रहे हैं. इसे सितंबर के महीने तक ग्राउंड-बेस्ड टेलीस्कोप्स से भी देखा जा सकेगा, लेकिन उसके बाद यह सूर्य के इतना करीब आ जाएगा कि इसे देखना काफी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, यह दिसंबर की शुरुआत में सूर्य कूी दूसरी तरफ फिर से दिखेगा और उसके बाद एस्ट्रोनॉमर्स इसे एक बार फिर से ऑब्ज़र्व कर सकेंगे.
नासा द्वारा खोजे गए तीन इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट
ऑब्जेक्ट का नाम | कब खोजा गया | क्या देखा गया | खास बात |
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1I/2017 U1 ‘Oumuamua | अक्टूबर 2017 | पहले इसे धूमकेतु समझा गया लेकिन इसमें धूमकेतु जैसी एक्टिविटी नहीं दिखी. सूरज के पास से बहुत तेज़ स्पीड (87.3 किमी/सेकंड) से गुज़रा. बाद में थोड़ा मूवमेंट बदला तो अंदाजा लगा कि ये शायद धूमकेतु जैसा बर्ताव कर रहा है. | इसे “उमुआमुआ” नाम दिया गया, जो हवाई भाषा में “दूर से आया पहला मैसेंजर” का मतलब होता है. यह पहला इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट था जो हमारे सोलर सिस्टम में आया. |
2I/Borisov | अगस्त 2019 | इसमें धूल और गैस निकलते दिखे जैसे आम धूमकेतु में होता है. इसका ऑर्बिट ऐसा था कि साफ हो गया कि यह इंटरस्टेलर यानी दूसरे तारे वाले सिस्टम से आया है. | इसे रूस के एक शौकिया एस्ट्रोनॉमर ने खोजा. यह एकदम परंपरागत धूमकेतु जैसा बर्ताव कर रहा था. |
3I/ATLAS | हाल ही में खोजा गया | इसके बारे में अभी ज़्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन यह तीसरा इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट माना जा रहा है. | इसकी खोज ने वैज्ञानिकों को फिर से हैरान कर दिया, क्योंकि ऐसे ऑब्जेक्ट्स बहुत कम देखने को मिलते हैं. |