हैदराबाद: भारत के खगोलविदों (Astronomers) ने 3 जुलाई 2025 की रात को लद्दाख में स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला (Indian Astronomical Observatory – IAO) के हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप (Himalayan Chandra Telescope – HCT) की मदद से इंटरस्टेलर कॉमेट C/2025 N1 (ATLAS) यानी 3I/ATLAS की कुछ बेहतरीन तस्वीरों को सफलतापूर्वक क्लिक किया. यह सौरमंडल के बाहर से आने वाला तीसरा इंटरस्टेलर कॉमेट है.
इसे पहली बार 1 जुलाई 2025 को नासा के ATLAS टेलीस्कोप ने चिली के Rio Hurtado से देखा था. जैसा कि हमने आपको बताया कि यह सौरमंडल के बाहर से आने वाला तीसरा इंटरस्लेटर कॉमेट है. इससे पहले 2017 में Oumuamua और 2019 में Borisov नाम के दो इंटरस्टेलर कॉमेट्स आए थे. हालांकि, 3I/ATLAS पहले आए दो कॉमेट्स की तुलना में आकार में बड़ा, गति में तेज़, उम्र में पुराना और पहले से ज्यादा चमकदार है.
नासा ने देखा 3I/ATLAS
1 जुलाई 2025 को जब इसे पहली बार देखा गया था, तब यह सूरज के करीब 4.5 AU (लगभग 670 मिलियन किलोमीटर) दूर था और इसकी गति थी 61 km/sec थी, जो कि सौरमंडल के किसी भी सामान्य कॉमेट की स्पीड से कहीं ज्यादा तेज है. इसकी ऑर्बिट हाइपरबोलिक है, जिसका eccentricity लगभग 6.2 है. इसका मतलब है कि यह कॉमेट सूर्य की ग्रैवेटी से बंधा हुआ नहीं है. यह एक बार आने के बाद फिर कभी वापस नहीं आएगा.
इस मामले में भारत की भूमिका
मल्टीपल एक्सपोज़र तस्वीरों का मोंटाज (फोटो क्रेडिट: IIA)
- भारत के लद्दाक में स्थित हेनले में मौजूद हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप ने 3 जुलाई 2025 को इस कॉमेट को तीन अलग-अलग फिल्टर्स g’, r’, और i’ की मदद से देखा.
- इन पिक्चर्स में तारे हिलते हुए नज़र आए लेकिन कॉमेट बिल्कुल स्टेबल यानी स्थिर था.
- कई छोटी-छोटी एक्सपोज़र्स ने कॉमेट की तेज़ गति को रिकॉर्ड किया.
- लंबे एक्सपोज़र्स में यह एक स्ट्रिक जैसा दिखाई दिया.
- RGB इमेज ने इसे तीन रंगों में दिखाया, जो असली रंग नहीं थे, बल्कि टेक्निकल इमेज प्रोसेसिंग की वजह से तीन रंगों में नज़र आ रहे थे.

इंटरस्टेलर कॉमेट की RGB कॉम्पोज़िट तस्वीर (फोटो क्रेडिट: IIA)
आकार और बनावट
जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया कि, 3I/ATLAS अपने पहले दो इंटरस्टेलर कॉमेट्स यानी Oumuamua (2017) और Borisov (2019) से कहीं ज्यादा बड़ा, तेज़ और चमकीला है. एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक, इस कॉमेट का अनुमानित व्यास यानी डायामीटर 15 से 20 किलोमीटर हो सकता है. नासा ने पुष्टि की है कि इसकी सतह पर गैस और धूल निकल रहे हैं, इसका मतलब है कि यह एक एक्टिव कॉमेट है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस कॉमेट की उम्र 7 अरब साल या उससे भी ज्यादा हो सकती है. इसका मतलब है कि यह हमारी आकाशगंगा यानी मिल्कीवे से भी पुराना हो सकता है.
क्या इससे पृथ्वी को कोई खतरा है?
ऐसे में सवाल उठता है कि सौरमंडल के बाहर से आए इस तीसरे बड़े और तेज़ कॉमेट से पृथ्वी को कोई खतरा हो सकता है या नहीं. इसके बारे में नासा का कहना है कि यह कॉमेट पृथ्वी से कम से कम 1.6 AU यानी लगभग 240 मिलियन किलोमीटर यानी करीब 24 करोड़ किलोमीटर दूर ही रहेगा. इसका मतलब है कि यह सूर्य से भी ज्यादा दूरी पर स्थित होगा. हालांकि, नासा ने इस बात की पुष्टि की है कि यह कॉमेट मार्स (MARS) की ऑर्बिट से होकर गुजरेगा. इसका मतलब है कि इस कॉमेट से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है.
यह कॉमेट आगे कहां जाएगा?
आपको मन में यह सवाल भी आ रहा होगा कि अब आने वाले कुछ महीनों में इस कॉमेट की पोजिशन कहां होगी और यह कहां से होकर गुजरेगा. नासा के मुताबिक, यह कॉमेट 29-30 अक्टूबर 2025 को सूरज के सबसे पास पहुंचेगा. उसके सूर्य से इस कॉमेट की दूरी सिर्फ 1.4 AU यानी 210 मिलियन यानी 21 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होगा. इसका मतलब है कि इसे टेलीस्कोप की मदद से सिर्फ सितंबर तक ही देखा जा सकेगा. उसके बाद यह कॉमेट सूर्य के पीछे चला जाएगा और टेलीस्कोप से दिखाई नहीं देगा, लेकिन दिसंबर के शुरुआत में यह एक बार फिर दिखाई देगा.

अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS की मार्ग-रेखा (फोटो क्रेडिट: NASA/JPL-Caltech)