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नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया कि अन्य अभियुक्तों की सजा के मामले में सजा सुनाए जाने से पहले एक अतिरिक्त आरोपी को बुलाने के लिए ट्रायल कोर्ट आपराधिक संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) की धारा 319 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग कर सकता है।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, यदि अदालत ने परीक्षण की प्रक्रिया में दर्ज किए गए सबूतों से पाया कि कोई अन्य व्यक्ति शामिल है, तो सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सजा लागू होने से पहले और अभियुक्तों को बुलाने की शक्ति के लिए एक आदेश पारित किया गया है।
पीठ में शामिल जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमणियन और बी.वी. नगरथना ने कहा, इस तरह के निष्कर्ष पर पहुंचने के दौरान, जो कुछ भी ध्यान में रखा जाना है, वह उप-धारा (4) की धारा 319 से सीआरपीसी की आवश्यकता है। इस प्रावधान से यह स्पष्ट है कि यदि सत्र न्यायाधीश अतिरिक्त अभियुक्तों को बुलाने की शक्ति का प्रयोग करते हैं तो अतिरिक्त अभियुक्तों की उपस्थिति में गवाहों की फिर से जांच करनी होगी।
इसमें कहा गया है कि ऐसे मामले में, जहां सत्र न्यायाधीश गवाहों के सबूतों को रिकॉर्ड करने के बाद या सजा सुनाने के बाद सीआरपीसी की धारा 319 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हैं।
पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति बोपाना ने कहा, इसी तरह, एक ऐसे मामले में जहां एक से अधिक अभियुक्त हैं और यदि उनमें से एक या एक से अधिक बरी हो जाते हैं और अन्य लोगों को दोषी ठहराया जाता है, जो आरोपी बरी हो गए हैं, उन्हें दोषी के खिलाफ अंतिम जांच में सहयोग करना होगा।
पीठ ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि एक अतिरिक्त अभियुक्त को या तो अदालत द्वारा या सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक आवेदन पर एक अतिरिक्त अभियुक्त को बुलाने का निर्णय लिया जाएगा और सजा के फैसले से पहले इसका निपटान किया जाएगा।
मई 2019 में दो-न्यायाधीशों की एक पीठ ने इस मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित करते हुए कहा था कि वास्तविक चरण के संबंध में जिस पर परीक्षण किया गया है, वह प्रकृति में असाधारण है।
पांच न्यायाधीशों की पीठ का यह निर्णय मादक पदार्थो की तस्करी के मामले में एक अतिरिक्त आरोपी को बुलाने के फैसले से जुड़ा है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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