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नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)। रडार से बच निकलने में सक्षम स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर को नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में नौसेना में शामिल कर लिया गया। पनडुब्बी में उन्नत रडार से बच निकलने वाली विशेषता के अलावा लंबी दूरी की गाइडेड टॉरपीडो तथा युद्धपोत रोधी मिसाइलें मौजूद हैं। आईएनएस वागीर पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा होगी।
फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। आईएनएस वागीर को अब तक की सभी स्वदेश निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय होने का गौरव प्राप्त हुआ है।
स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेहद शक्तिशाली प्लेटफॉर्म हैं। इसका रडार सिस्टम दुनिया से सबसे बेहतरीन में से एक है। इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक सोनार सुइट और उत्कृष्ट परिचालन क्षमताओं का परिचय देने वाला सेंसर सूट मौजूद है।
नौसेनाध्यक्ष नेकहा कि आईएनएस वागीर भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देगा और किसी भी शत्रु के विरुद्ध एक शक्तिशाली रक्षक के रूप में कार्य करेगा।
नौसेनाध्यक्ष ने इस तथ्य का उल्लेख भी किया कि वागीर 24 महीने की अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत के युद्धपोत निर्माण उद्योग के आने वाले युग तथा हमारे डिफेंस इकोसिस्टम की परिपक्वता को रेखांकित करता है। नौसेनाध्यक्ष ने कहा कि यह सफलता दुष्कर एवं जटिल सैन्य उपकरणों तथा प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए हमारे शिपयाडरें की विशेषज्ञता व अनुभव का एक शानदार प्रमाण भी है।
–आईएएनएस
जीसीबी/सीबीटी
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