भारत में तिरंगे झंडे के फहराने और इसके उपयोग को लेकर कुछ विशेष नियम और कायदे हैं। इसके उल्लंघन या अपमान करने पर कानूनी दंड भी निर्धारित हैं। यहाँ तिरंगे के उपयोग से संबंधित महत्वपूर्ण नियम और सजा की जानकारी दी गई है:
तिरंगे के उपयोग के नियम और कायदे:
1. डिज़ाइन और रंग:
– तिरंगा झंडा तीन रंगों में होता है: केसरिया (ऊपरी हिस्सा), सफेद (मध्य भाग) और हरा (निचला हिस्सा)।
– सफेद पट्टी के मध्य में एक नीली अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं।
– झंडे का अनुपात 2:3 होता है, यानी इसकी लंबाई की तुलना में चौड़ाई दो-तिहाई होती है।
2. फहराने के नियम:
– झंडा हमेशा ऊँचाई पर फहराना चाहिए, जिससे कि वह साफ़ और स्पष्ट रूप से दिख सके।
– तिरंगे को सूरज की दिशा के विपरीत या झंडे के समानांतर में फहराना चाहिए।
3. उपयोग की स्वीकृति:
– तिरंगा केवल सार्वजनिक समारोहों, सरकारी इमारतों, स्कूलों, और अन्य राष्ट्रीय अवसरों पर ही फहराना चाहिए।
– व्यक्तिगत या वाणिज्यिक उपयोग के लिए झंडे का उपयोग सीमित है।
4. झंडे की स्थिति:
– झंडा कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए या ऐसा करना जिससे झंडा गंदा हो या नष्ट हो जाए।
– झंडे को कभी भी किसी अन्य वस्तु के ऊपर या साथ में नहीं रखना चाहिए, जैसे कि विज्ञापन, विज्ञापन होर्डिंग्स, इत्यादि।
तिरंगे का अपमान और सजा:
1. अधिकारिता:
– तिरंगे के अपमान को लेकर भारतीय कानून में कड़े प्रावधान हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 2(1) और 2(2) के तहत तिरंगे का अपमान एक अपराध है।
2. सजा:
– तिरंगे के अपमान पर धारा 2(1) के तहत सजा के रूप में तीन साल तक की जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
– धारा 2(2) के तहत, कोई भी व्यक्ति जो तिरंगे का अपमान करता है, उसे एक साल की जेल या जुर्माना या दोनों का दंड हो सकता है।
3. विशेष मामले:
– झंडे को आग में जलाना, फाड़ना, या किसी अपमानजनक तरीके से पेश आना सीधे तौर पर तिरंगे का अपमान माना जाता है।
– ऐसा अपमान भारतीय संविधान और झंडा संहिता की स्पष्ट उल्लंघन होता है, और इसे सजा के तहत लाया जा सकता है।
नोट: इन नियमों और दंडों के बावजूद, तिरंगे का उपयोग और उसके प्रति सम्मान बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। यह राष्ट्र की एकता, अखंडता, और गरिमा का प्रतीक है, और इसका उचित सम्मान हर भारतीय की जिम्मेदारी है।