उत्तराखंड में बेटियों को परेशान करने वाले मनचलों पर अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए पुलिस के साथ-साथ छह विभागों ने मिलकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सरकार का उद्देश्य है कि बेटियों को सुरक्षित और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए। इस योजना के तहत, विभिन्न विभागों की मदद से मनचलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि उन्हें हरकत में आने से रोका जा सके।
पुलिस के अतिरिक्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और महिला कल्याण विभाग भी इस मुहिम में शामिल होंगे। इससे बेटियों की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा और उन्हें अपने अधिकारों का पालन करने में मदद मिलेगी।
20 बिंदुओं की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी
उत्तराखंड में बेटियों की सुरक्षा के लिए छह विभागों के लिए 20 बिंदुओं की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई है। इसमें पुलिस से लेकर शिक्षा विभाग तक सभी के लिए सुझाव शामिल किए गए हैं।
इस SOP का उद्देश्य न केवल बेटियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, बल्कि मनचलों को भी कठोर सबक सिखाना है। हर विभाग को अपनी भूमिका निभाने के लिए निर्देशित किया गया है, ताकि एक समन्वित प्रयास के माध्यम से बेटियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके।
पुलिस विभाग के लिए मानक संचालन प्रक्रिया:
- स्कूलों की छुट्टी के समय बच्चियों को जबरन ऑटो में बैठाने वाले चालकों पर सख्ती बरती जाए।
- ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का सत्यापन अनिवार्य रूप से किया जाए।
- बाइक चलाकर और बेटियों को छेड़ने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
- ऑटो स्टैंड में अराजक तत्वों पर नजर रखी जाए और गश्त को बढ़ाया जाए।
- स्कूल के आसपास के पार्कों का नियमित निरीक्षण किया जाए।
- स्कूल के पास सुनसान रास्तों में झुंड बनाकर खड़े लोगों से पूछताछ की जाए।
- निर्माणाधीन भवनों में कार्यरत श्रमिकों का सत्यापन किया जाए।
- ठेलों पर बिक रही अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाया जाए।
- बच्चों को कानून और उनके अधिकारों की जानकारी दी जाए।
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