नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार शपथ ग्रहण करने से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नवनिर्वाचित सांसदों की आज बैठक होगी।” इस बैठक में, नवनिर्वाचित सदस्यों को सरकार के कामकाज में शामिल किया जाएगा, उनके द्वारा प्रस्तावित नीतियों और कार्यक्रमों को विचार किया जाएगा, और उन्हें अपने क्षेत्रों में विकास के लिए अवसर प्राप्त करने की दिशा में मार्गदर्शन किया जाएगा।
“इसमें कैबिनेट मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।” यहाँ, कैबिनेट मंत्रियों के चयन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा की जाएगी, जिसमें उनकी क्षमता, अनुभव, और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को मध्यस्थता किया जाएगा। यह चर्चा उन नवनिर्वाचित सांसदों को समर्थन और प्रेरणा प्रदान करेगी, जिन्हें सरकार में अपनी भूमिका को ठीक से निभाने के लिए सहायता की जरूरत होगी।
प्रधानमंत्री मोदी और उनके नए मंत्रिमंडल के सदस्य नौ जून की शाम को एक भव्य समारोह में शपथ लेंगे। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, समारोह में अनेक विशेष अतिथियों की उपस्थिति की जाएगी। यहां एक ओर देशभर से विभिन्न देशों के शीर्ष नेता और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल होंगे, और दूसरी ओर, इस समारोह में सामाजिक अधिकारियों, सफाईकर्मियों, ट्रांसजेंडर और मजदूरों जैसे विभिन्न वर्गों के लोग भी शामिल होंगे। यह समारोह न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी।
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में कुल 8000 मेहमान शामिल हो सकते हैं, जिसमें उन्हें विभिन्न राजनैतिक दलों, संगठनों और समाज के प्रतिनिधियों का प्रतिष्ठान भी मिलेगा। इस समारोह में उनके नए मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी अपनी जिम्मेदारियों का आशीर्वाद मिलेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस समारोह के अलावा, निर्वाचन में भाजपा की 240 सीटों की जीत के बावजूद, उन्हें बहुमत तक पहुंचने के लिए चार सहायक दलों के समर्थन की आवश्यकता है। इन दलों में टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास शामिल हैं। इन दलों के सहायक द्वारा बहुमत तक पहुंचने में समर्थन मिला है, जिससे यह समारोह और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
श्रीलंका, मालदीव, सेशेल्स, बांग्लादेश, मॉरीशस, नेपाल, और भूटान के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके नए कार्यकाल की शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा है। इस तरह के आमंत्रण का मतलब है कि उन देशों के नेताओं ने भारत के नए कार्यकाल की शुभकामनाएं दी हैं और वे इस महत्वपूर्ण अवसर में उपस्थित होने का समर्थन कर रहे हैं।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी सूचित किया है कि उनके नेतृत्व में देश के एक प्रतिनिधि स्तर के महत्वपूर्ण समारोह में उनकी उपस्थिति निश्चित होगी। इससे व्यक्त किया जाता है कि उनका उद्दीपन और समर्थन नए कार्यकाल के शुभारंभ में होगा। इस अवसर पर उन्हें भारत के नए नेतृत्व को समर्थन और बधाई देने का अवसर भी मिलेगा।
यह स्थिति भारत के संबंध में अन्य देशों के साथ गहराई से जुड़े होने का प्रमाण है और भारतीय राजनीति और संबंधों में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।