पंचायत चुनावों के संबंध में मुख्यमंत्री ने 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी थी। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए, विभाग ने हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का परिसीमन किया है।
प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल अगले महीने 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है, लेकिन इस वर्ष चुनाव नहीं होंगे, और पंचायतों के कार्यकाल में भी कोई वृद्धि नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के संदर्भ में शासन से 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी थी।
एक्ट में कोई व्यवस्था नहीं
चमोली, चंपावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों के कुछ क्षेत्रों में नए सिरे से परिसीमन किया जाएगा, जिसके कारण इन जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत सीटों की संख्या घट-बढ़ सकती है। पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक मनोज तिवारी के अनुसार, परिसीमन के बाद कुछ गांव शहरी निकायों में शामिल हो गए हैं, जबकि कुछ अन्य निकायों से बाहर हो गए हैं।
मतदाता सूची का पुनरीक्षण अगले साल जनवरी तक किया जाना है। पुनरीक्षण के बाद ही मतदाता सूची तैयार होगी, जिससे अगले साल फरवरी-मार्च के बाद चुनाव संभव हो सकेंगे। पंचायतों के कार्यकाल में बढ़ोतरी के लिए एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है।
सरकार बना सकती है प्रशासक
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पंचायतों के कार्यकाल में वृद्धि के लिए एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है। त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल एक दिन के लिए भी नहीं बढ़ाया जा सकता। हालांकि, यदि सरकार चाहे, तो पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकतम छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर सकती है। एक्ट के अनुसार, व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है। जिला पंचायतों में जिलाधिकारी और जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रशासक बनाया जा सकता है। ब्लॉक स्तर पर एसडीएम और क्षेत्र प्रमुख को तथा ग्राम पंचायतों में एडीओ पंचायत और ग्राम प्रधान को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।
पंचायत प्रतिनिधियों की मांग
पंचायत प्रतिनिधियों की मांग है कि पंचायतों का कार्यकाल दो साल बढ़ाया जाए और 12 जिलों में इस वर्ष की बजाय हरिद्वार जिले के साथ 2027 में एक साथ पंचायत चुनाव कराए जाएं। इसका उद्देश्य राज्य में “एक राज्य, एक पंचायत चुनाव” के सिद्धांत को लागू करना है। प्रतिनिधियों का कहना है कि राज्य में पहले भी अधिसूचना जारी कर पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया गया है, और अन्य राज्यों में भी कार्यकाल बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाए गए हैं।