देहरादून: हिमालय पुत्र के नाम विख्यात पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने हिमालय दिवस पर जागरुकता रैली निकाल लोगों से हिमालय संरक्षण में भागीदारी का आह्वान किया। हिमालय दिवस पर हिमालय बचाओ अभियान के तहत राजधानी के घंटाघर से शुरू हुई इस रैली में सैकड़ों पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। रेंजर ग्राउंड से घंटाघर होते हुए रैली गांधी पार्क पहुंची।
अपनी रैली के जरिए उन्होंने कहा कि सबका हिमालय को समझने का समय आ चुका है। जो यहाँ बसे हैं, दूर हैं या फिर सैलानी। क्योकि इसने सबकी सेवा की और स्वागत किया। इसे अकेला ना छोड़ें और ना भोगने का सामान समझें ये खुद में जीवित है और हमारा भी जीवन इसी से है।
उन्होंने कहा कि वह हिमालय जो आसमान को छूता था, आज टूट – टूटकर मैदानों में बिखर रहा है। यह बड़ा प्रश्न है कि हम कैसे तय करें कि हमारा मॉडल क्या हो, एक मॉडल जो आर्थिकी के साथ पारिस्थितिकी और हिमालय को भी बचा पाए, वही यहां के लिए सटीक साबित होगा।
हिमालय दिवस पर उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर भी उन्होंने लिखा कि ” मैं हिमालय हूं। घर भी जीवन का घेरा भी। सबने मुझको जम के भोगा। पालक रहा पर पिता न बन पाया कि पुत्र मेरे प्रति चिंता कर पाते। मैं तुम्हारे लिए जिंदा रहना चाहता हूं। काटो , लूटो या कल के लिए बचालो तुम्हारे साथ रहूँगा। मेरे लिए नहीं अपने लिए संभालो।
उन्होंंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा के लिए हम सभी को मिलकर सामुहिक प्रयत्न करने होंगें। क्योंकि यह हमारी आर्थिक, अध्यत्मिक और समाजिक धरोहर है। हमें जनजागरूक रैली करते हुए इस संकल्प में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहिए, जिससे हम हिमालय में हो रही क्षति पर रोक लगा सकें।
वहीं हिमालय दिवस पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हिमालय को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सामाजिक विकास की आवश्यकता है, हमें इकॉलोजी एवं इकोनॉमी को साथ में रखते हुए कार्य करना होगा एवं हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करना होगा। जब हिमालय बचा रहेगा, तभी जीवन बचा रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्व है। हिमालय के संरक्षण का दायित्व, हम सभी का है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है।
विकास के साथ ही प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिये हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्ड वासियों के स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व, प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का परिणाम है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत है। सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।