प्रदेश में वैसे तो कचरे से बिजली बनाने के तमाम दावे और वादे हुए। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अपनी टीम के साथ जर्मनी भी गए लेकिन अभी तक इस दिशा में सकारात्मक काम नहीं हो पाया।
गंगोत्री में अब कूड़े से बिजली बनेगी। शहरी विकास निदेशालय यहां पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है, जिसके सफल होने के बाद अन्य जगहों पर भी छोटे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाए जाएंगे। दूसरी ओर, सरकार अब वेस्ट टू एनर्जी नीति 2019 में भी बदलाव करने जा रही है।
रुड़की का प्लांट आज तक तैयार नहीं हो पाया। अब पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गंगोत्री में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जा रहा है। इसकी सभी औपचारिकताएं तेजी से पूरी की जा रही हैं।
शहरी विकास निदेशक नवनीत पांडे के मुताबिक, कचरे से बिजली बनाने का गंगोत्री का प्लांट बतौर पायलट प्रोजेक्ट है। उन्होंने बताया कि इसकी पर्यावरणीय स्वीकृति आदि की प्रक्रिया चल रही है। सभी स्वीकृतियां मिलने के बाद निदेशालय बिजली बनाने का काम करेगा। इससे जितना भी रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) निकलेगा, उससे बिजली बनाने का काम किया जा सकेगा।
प्रदेश में वर्ष 2019 में कचरे से बिजली (वेस्ट टू एनर्जी) नीति जारी हुई थी। इसके नियम ऐसे थे कि इतने लंबे समय से कूड़े से बिजली बनाने का कोई भी प्लांट शुरू ही नहीं हो पाया है। शहरी विकास निदेशक नवनीत पांडे ने बताया कि इस नीति के कई बिंदुओं में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसकी संशोधित नीति आएगी। नीति आने के बाद ही बड़े वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनेंगे।