सामान्यतः भूमि की जानकारी खसरा-खतौनी से मिलती है, लेकिन अब राजस्व विभाग हर भूमि को एक विशेष यूनिक आईडी देने की तैयारी कर रहा है। यह योजना केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से लागू की जा रही है।
इस पहल के तहत, प्रत्येक भूमि को एक अद्वितीय नंबर दिया जाएगा, जिससे उसकी स्थिति, देशांतर और अक्षांश निर्देशांक, तथा भूस्वामी की जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी। यह व्यवस्था भूमि प्रबंधन को सरल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगी, साथ ही भूमि विवादों को सुलझाने में भी सहायक साबित होगी।
राजस्व विभाग प्रत्येक भूमि के अंश निर्धारण संबंधित जानकारी देने की योजना पर भी कार्य कर रहा है। सचिव राजस्व, एसएन पांडे के अनुसार, भूमि को एक खास आईडी देने की पहल की जा रही है, और इस पर विभाग सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि यह कार्य एक मंत्रालय से प्राप्त सॉफ़्टवेयर के माध्यम से किया जा रहा है। इसमें डिजिटल मैप और खेत नंबर के साथ-साथ खेत के देशांतर और अक्षांश निर्देशांक (गूगल कोआर्डिनेट) का उपयोग करके विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या तैयार की जाएगी।
राजस्व विभाग ने तीन हजार गांवों में इस कार्य को पूरा कर लिया है, जिससे भूमि संबंधी जानकारी को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकेगा।