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नीरज चोपड़ा का अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने का सफर 2014 से शुरू हुआ अब तक निरंतर जारी शानदार रिकॉर्ड

भारत के प्रमुख भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है। फाइनल में उन्होंने 89.45 मीटर की दूरी के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया और लगातार दूसरी बार ओलंपिक पदक जीतने में सफलता हासिल की। इस उपलब्धि के साथ, नीरज आज़ाद भारत के पहले एथलीट बन गए हैं जिन्होंने दो ओलंपिक पदक जीते हैं। हाल के समय में नीरज ने निरंतर उपलब्धियां हासिल की हैं और देश को गर्वित किया है। आइए जानते हैं कि भारत के इस महान खिलाड़ी का सफर कैसा रहा है।

नीरज चोपड़ा की खेलों में रुचि शुरू से नहीं थी, और उनका खिलाड़ी बनना खुद में एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, नीरज का बचपन में वजन काफी अधिक था, जो उनके परिवार के लिए चिंता का विषय था। इस समस्या को हल करने के लिए, उनके परिवार ने 11 साल की उम्र में उन्हें स्टेडियम भेजना शुरू किया। वहीं नीरज की मुलाकात राष्ट्रीय स्तर के भाला फेंक एथलीट जयवीर से हुई। जयवीर ने नीरज को भाला फेंकने की सलाह दी। जब नीरज ने पहला थ्रो किया, तो जयवीर उसकी क्षमता को देखकर चकित रह गए। इसके बाद, नीरज ने इस खेल में आगे बढ़ने का निर्णय लिया और अपनी मेहनत और समर्पण से उत्कृष्टता की ओर बढ़े।

नीरज चोपड़ा ने अपनी यात्रा की शुरुआत यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीतकर की। 2014 में बैंकॉक में आयोजित यूथ ओलंपिक में उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला पदक जीता। इसके बाद, 2016 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप में भी उन्होंने रजत पदक प्राप्त किया और उसी साल विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सबको प्रभावित किया। इस शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें सेना में नौकरी मिली और नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया। हालांकि, वह 2016 के रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सके।

नीरज की अंतरराष्ट्रीय पहचान तब और भी मजबूत हुई जब उन्होंने 2018 में गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, एशियाई खेलों में 88.07 मीटर का थ्रो करके स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह वर्ष नीरज के लिए बहुत सफल रहा और उन्होंने टोक्यो ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन 2019 में कंधे की चोट के कारण उन्हें सर्जरी करानी पड़ी, जिससे वह खेल से कुछ समय के लिए दूर रहे। जनवरी 2020 में, नीरज ने दक्षिण अफ्रीका में एक टूर्नामेंट में 87.86 मीटर का थ्रो कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण टोक्यो ओलंपिक एक साल के लिए स्थगित हो गए, जिससे नीरज को और इंतजार करना पड़ा।

टोक्यो ओलंपिक में, नीरज ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए खुद को एक मजबूत दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने 87.58 मीटर का थ्रो कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया और ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिंद्रा के बाद भारत के दूसरे एथलीट बने। साथ ही, ट्रैक एंड फील्ड में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। इस उपलब्धि ने उनके करियर को एक नई दिशा दी और उन्हें भारत के शीर्ष एथलीटों में शामिल कर दिया। इसके बाद, उन्होंने दोहा डायमंड लीग का खिताब भी जीता और पिछले साल हुए एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

पेरिस ओलंपिक में, नीरज से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी। उन्होंने  क्वालिफिकेशन में 89.34 मीटर का थ्रो कर पहले ही प्रयास में फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया। उनकी इस शानदार प्रदर्शन से स्वर्ण पदक की उम्मीदें और भी बढ़ गई थीं। लेकिन, पाकिस्तान के अरशद नदीम ने ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता और नीरज को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

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