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उत्तराखंड के 11 जिलों में भू-कानून उल्लंघन के कई मामले उजागर…धामी सरकार ने सख्त कदम उठाने का लिया फैसला

उत्तराखंड में भू-कानून के उल्लंघन के मामलों पर सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। राज्य के 11 जिलों में इस संबंध में गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसके अलावा, हरिद्वार और नैनीताल जिलों की रिपोर्ट भी प्राप्त हो चुकी है। आज सभी जिलों की अद्यतन रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने की संभावना है। इसके साथ ही, ऐसी भूमि को सरकार के स्वामित्व में लाने के लिए कार्रवाई जल्द शुरू की जा सकती है। मुख्य सचिव ने सभी जिलों से रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

प्रदेश में भू-कानून के उल्लंघन कर हुई भूमि की खरीद-बिक्री पर अब सरकार का शिकंजा कसने की प्रक्रिया तेजी से शुरू होने वाली है। ऐसी भूमि को सरकार के स्वामित्व में लाने के लिए कार्रवाई शीघ्र शुरू की जा सकती है। इस संदर्भ में सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।

वहीं, हरिद्वार और नैनीताल जिलों ने भू-कानून उल्लंघन से संबंधित अपनी रिपोर्ट राजस्व परिषद को सौंप दी है। गुरुवार तक इन दोनों जिलों के अलावा अन्य जिलों की अद्यतन रिपोर्ट भी शासन को सौंपे जाने की संभावना है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में भूमि की खरीद-बिक्री में मनमानी और भू-कानून उल्लंघन की बढ़ती शिकायतों पर सख्त रुख अपनाया था। उनके निर्देशों पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों को पिछले महीने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था।

मुख्य सचिव ने सोमवार को सभी जिलाधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में बताया गया कि शासन को 13 में से 11 जिलों की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। इनमें से नौ जिलों—देहरादून, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और ऊधम सिंह नगर—में भू-कानून उल्लंघन के मामले सामने आए हैं। इन मामलों में से कुछ मामलों में जिला स्तर पर कार्यवाही शुरू की जा चुकी है और वाद संस्तुत किए गए हैं।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) की धारा 166/167 के तहत मुकदमा दर्ज करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हरिद्वार और नैनीताल जिलों को 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने का आदेश दिया था। इन दोनों जिलों ने अपनी रिपोर्ट राजस्व परिषद को प्रस्तुत कर दी है, जिसमें भू-कानून के उल्लंघन के कई मामले उजागर हुए हैं।

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