हरियाली तीज हर साल सावन के महीने में मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं सोलह श्रृंगार करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं इसका क्या महत्व है? हिंदू पंचांग में तीज तिथि को बहुत महत्व दिया जाता है. वैसे तो साल में तीन तीज होती हैं, लेकिन सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाली हरियाली तीज इन सभी में खास मानी जाती है, जो इस साल 26 जुलाई 2025 को है.
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने श्रृंगार में हरा रंग शामिल करती हैं. वे हरी चूड़ियां, बिंदी, हरी साड़ी आदि पहनती हैं और हाथों में हरी मेहंदी भी लगाती हैं. हरियाली तीज पर पारंपरिक रूप से किए जाने वाले कार्यों में से एक है घर के मुख्य द्वार पर छाप लगाना. इसे अलग-अलग चीजों से लगाया जाता है. मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर बनते हैं. आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र जी के माध्यम से इसका महत्व जानते हैं-
हल्दी का टीका
हरियाली तीज के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी का टीका लगाया जाता है. चूंकि हल्दी का रंग पीला होता है और यह गुरु का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसे में हल्दी का टीका गुरु ग्रह को मजबूत करता है और इसके प्रभाव से सकारात्मकता बढ़ने लगती है, इसलिए हल्दी का टीका लगाना चाहिए.
कुमकुम का टीका
इस खास मौके पर आप अपने घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम का टीका भी लगा सकते हैं. कुमकुम का रंग लाल होता है और इसका संबंध मंगल ग्रह से है, जो वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है. कुमकुम के टीका से मंगल ग्रह मजबूत होता है. ऐसे में विवाहित महिलाओं को घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम का टीका जरूर लगाना चाहिए.
मेहंदी का टीका
हरियाली तीज के दिन मेहंदी का बहुत महत्व होता है, इसे श्रृंगार करने से पहले लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब महिलाएं हाथों में मेहंदी लेकर अपने घर के मुख्य द्वार पर इसका टीका लगाती हैं, तो इससे वैवाहिक जीवन में नकारात्मकता खत्म होती है
हरियाली तीज की मान्यता
हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्योहार व्यापक रूप से मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती की 108 वर्षों की लंबी तपस्या और प्रार्थना के बाद, भगवान शिव ने हरियाली तीज के दिन मां गौरी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. सावन में प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़ लेती है और हरा रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसीलिए हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार के लिए हरे रंग का उपयोग करती हैं.
पूजा विधि क्या है
पंडित कन्हैयालाल भारद्वाज ने बताया कि हरियाली तीज के दिन व्रती महिलाओं को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर नए वस्त्र, मायके से लाए गए हरे श्रृंगार का सामान धारण कर व्रत की तैयारी करनी चाहिए. पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और शुद्ध मिट्टी से शिव परिवार की मूर्ति बनाकर उसे स्थापित करें. भगवान को भी नए वस्त्र पहनाएं, फिर शुभ मुहूर्त के अनुसार हरे पौधों से पूजा करके निर्जला हरियाली व्रत का आरंभ करें. इस दिन मां गौरी को हरी चूड़ियां, बिंदी, हरे वस्त्र, सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने से सुहाग की आयु बढ़ती है तथा अविवाहित कन्याओं को अच्छा पति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
(डिस्क्लेमर: ये सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत ज्योतिषी के दावे की पुष्टि नहीं करता है.)
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