अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का AI-171 प्लेन गुरुवार यानी 13 जून को क्रैश हो गया. इस हादसे में 242 लोगों के मारे जाने की खबर है. वहीं एक व्यक्ति के बचने की बात सामने आई है. एयर इंडिया प्लेन हादसे में बचने वाले व्यक्ति का नाम रमेश विश्वास कुमार बताया जा रहा है. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रमेश ने मीडिया को बताया कि प्लेन में आग लगने से पहले ही वह आपातकालीन गेट से कूद गया था, इसलिए वह बच गया. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि विमान में कौन सी सीट सबसे सुरक्षित मानी जाती है?
कई रिपोर्टों के अनुसार, हवाई यात्रा ट्रांसपोर्टेशन के सबसे सुरक्षित साधनों में से एक है. ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एविएशन के एसोसिएट प्रोफेसर चेंग-लुंग वू का कहना है कि प्लेन से यात्रा करना कार चलाने से ज्यादा सुरक्षित होता है और इसमें मृत्यु दर भी कम है. जर्नल ऑफ एयर ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट में 2024 के एक अध्ययन के अनुसार, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में, कमर्शियल हवाई यात्रा में मरने की संभावना प्रत्येक उड़ान के लिए 13.7 मिलियन में से 1 होता है.
कौन सी सीट होती है सबसे सुरक्षित
हालांकि, चेंग-लुंग वू का कहना है कि हवाई जहाज में कौन सी सीट सबसे सुरक्षित है, इसकी जांच करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है. लेकिन पिछले विमान हादसों और हवाई जहाज के डिजाइन के आधार पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछली सीट ज्यादा सुरक्षित होती है. हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ डकोटा में एविएशन सेफ्टी रिसर्चर डैनियल क्वासी एडजेकम ने कहा कि यह सब दुर्घटना की गतिशीलता पर भी निर्भर करता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विमान पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, तो आप जहां भी बैठे हों, वहां से बच पाना असंभव हो सकता है. लेकिन अगर एक्सीडेंट लो एनर्जी और कम प्रभाव कोण के साथ होती है, उदाहरण के लिए अगर विमान लैंडिंग पर कंट्रोल खो देता है, और रनवे से बाहर चला जाता है. तब यह वास्तव में मायने रखता है कि आप संरचनात्मक रूप (structural form) से जीवित रहने में सक्षम होने के लिए कहां बैठते हैं.
बैक सीट ज्यादा सुरक्षित
यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के विश्लेषण के अनुसार पीछे की सीटों पर बैठना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. दरअसल, यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने 1971 से अब तक 20 विमान दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया और पाया कि पीछे की सीटों पर बैठे लोगों के बचने की संभावना 69 फीसदी थी. आगे की सीटों पर बैठे लोगों के बचने की संभावना 49 फीसदी थी और विंग के पास बैठे लोगों के बचने की संभावना 59 फीसदी थी.
क्यो पिछला हिस्सा ज्यादा सुरक्षित होता है?
विमान की अधिकांश काइनेटिक एनर्जी (Kinetic Energy) आगे के हिस्से में केंद्रित होती है, क्योंकि वहां सबसे अधिक द्रव्यमान होता है. अगर विमान जमीन से टकराता है, तो इस प्रभाव के कारण वह दो टुकड़ों में टूट सकता है, क्योंकि विमान का अगला हिस्सा, जहां सबसे अधिक गतिज ऊर्जा केंद्रित होती है, वह सबसे अधिक बल वहन करता है. जिसके कारण पीछे की सीट पर बैठे लोग आगे की सीट पर बैठे लोगों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं.
विंग्स या इंजन के पास बैठे यात्रियों को इससे खतरा
वू ने यह भी कहा कि विमान के पंखों के बगल में या उसके करीब वाली सीटें भी सुरक्षित होती हैं. दरअसल, विमान का सबसे संरचनात्मक रूप से मजबूत हिस्सा सेंटर विंग बॉक्स को माना जाता है. यह विमान की संरचना का दिल है और यहां पंख धड़ से जुड़े होते हैं. इसलिए, इसे मजबूत ताकतों को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके साथ ही वू ने कहा कि ये सीटें आपातकालीन निकास के करीब होती हैं, जिसका अर्थ है कि आप अधिक तेजी से बाहर निकल सकते हैं. लेकिन, आग लगने की स्थिति में सबसे ज्यादा खतरा विंग्स या इंजन के पास बैठे यात्रियों को होता है, क्योंकि यहीं पर ईंधन टैंक और इंजन होते हैं.
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