भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया है, क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने के लिए बहुप्रतीक्षित एक्सिओम 4 मिशन के लिए लॉन्च किए गए स्पेसएक्स ड्रैगन विमान का संचालन कर रहे हैं. आज इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की सफल उड़ान भरी है. अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य एस्ट्रोनॉट्स के साथ वह 14 दिन तक स्पेस में रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. शुभांशु अपने साथ टार्डिग्रेड्स जैसे Microorganisms भी ले गए हैं, जिनसे अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं पर रिसर्च होगी.
शुक्ला ने उड़ान से पहले लखनऊ में कही थी ये बात
शुभांशु शुक्ला पिछले चालीस वर्षों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले इंडियन एस्ट्रोनॉट हैं. उनसे पहले यह उपलब्धि इंडियन एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा को मिली थी. बता दें, भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन में आठ दिन बिताए थे वहीं, आईएसएस की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होने से पहले, उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आए शुभांशु शुक्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह मिशन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा, ठीक वैसे ही जैसे स्पेस में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा ने किया था.
बता दें, शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था और वे इसरो के गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार एस्ट्रोनॉट में से एक हैं. शुक्ला को जून 2006 में इंडियन एयर फोर्स की कॉम्बैट ब्रांच में शामिल किया गया था. एक Combat Leader और अनुभवी परीक्षण पायलट के रूप में, उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित कई तरह के प्लेन पर 2,000 घंटे की उड़ान का एक्सपीरियंस है.
अंतरिक्ष में अपने साथ खाने के लिए क्या-क्या लेकर गए शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला इंडियन एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा की यात्रा से प्रेरित होकर बड़े हुए हैं. शुभांशु शुक्ला न केवल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट बल्कि कुछ पर्सन सामान भी ले जा रहे हैं जो उनके दिल के करीब हैं. जहां आमतौर पर एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस के लिए लाइट वेट सामान पैक करने की सलाह दी जाती है, वहीं शुक्ला घर पर खास तौर से तैयार भारतीय मिठाइयां ले जा रहे हैं. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में खाने के लिए बहुत सारा खाना होगा, लेकिन मैं अपने साथ आम का जूस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा ले जाऊंगा. उन्होंने कहा कि वह इन्हें ISS पर अपने साथी एस्ट्रोनॉट्स के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं.
शुभांशु शुक्ला और क्रू के साथ ये खास यात्री जॉय कौन है?
इसके साथ ही इस बार शुभांशु शुक्ला और क्रू के साथ एक और खास यात्री है, जिसका नाम है ‘जॉय’. जॉय एक हंस है, वो असली हंस नहीं बल्कि एक सॉफ्ट टॉय है लेकिन एक बेहद खास काम के लिए जा रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि खिलौना अंतरिक्ष में क्या करेगा? तो सुनिए, जब रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचता है, तो गुरुत्वाकर्षण कम होने के कारण सब कुछ तैरने लगता है. ‘जॉय’ नाम का खिलौना, जो एक पंख वाला सॉफ्ट टॉय है,स्पेसक्राफ्ट में तैरता हुआ, यह संकेत देता है कि अब धरती पीछे छूट चुकी है और अंतरिक्ष रोमांच शुरू हो गया है.
मतलब, एक्सिओम-4 क्रू में शामिल होने वाला अंतरिक्ष यान जॉय शून्य-गुरुत्वाकर्षण संकेतक के रूप में कार्य करेगा, जो कैप्सूल के अंतरिक्ष में प्रवेश करने के बाद तैरता रहेगा. चालक दल ने इसे इसके सांस्कृतिक महत्व के लिए चुना है. यह ज्ञान का प्रतीक है और विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है. पोलैंड में, यह पवित्रता और लचीलेपन का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि हंगरी में, यह वफादारी और ग्रेस का प्रतीक है.
शुभांशु पर रहेगी पूरे देश की नजर
दो सप्ताह के मिशन में अंतरिक्ष यात्री करीब 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से सात इसरो द्वारा डिजाइन किए गए हैं. वहीं, शुक्ला के गृहनगर लखनऊ में उनके पोस्टर पहले ही लगा दिए गए हैं, क्योंकि शुभांशु पर रहेगी पूरे देश की नजर. इस बीच, उड़ान के बाद शुक्ला का एक संदेश आया, जिसे बीबीसी ने उद्धृत किया, जिसमें कहा गया कि मैं सिर्फ उपकरण और औजार नहीं ले जा रहा हूं, मैं एक अरब दिलों की उम्मीदों और सपनों को लेकर जा रहा हूं.