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घर के बाहर जरूर लगाएं नींबू का पेड़, धन-यश से भर जाएगा घर, जानें निंबासुर और नींबू का कनेक्शन


क्या आपने कभी सोचा है कि नींबू के बिना हर शुभ कार्य अधूरा क्यों होता है और यह हमारी संस्कृति में एक विशेष स्थान क्यों रखता है? संस्कृत में नींबू को ‘निम्बूका’, ‘राजनिम्बूका’ या नींबू फल कहा जाता है और इसे एक पवित्र फल माना जाता है. नींबू को अक्सर धन और प्रचुरता का प्रतीक माना जाता है. सदियों से, नींबू का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं, घरेलू इलाजों और दिन-प्रतिदिन के पाक-कला में इसके पावरफुल हेल्थ बेनिफिट्स और यूनिक टेस्ट और सुगंध के लिए किया जाता रहा है. लेकिन इस छोटे से खट्टे फल के बारे में और भी बहुत कुछ है, जो पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं की परतों में बुना हुआ है.

निम्बासुर और नींबू का कनेक्शन
इस फल का उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. आध्यात्मिक जगत में इस फल को फलों का राजा कहा जाता है. यहां पौराणिक कथाओं का एक दिलचस्प हिस्सा है जो आध्यात्मिकता और हिंदू धर्म में नींबू की उत्पत्ति और प्रासंगिकता को परिभाषित करता है. नींबू का इतिहास वैदिक युग से जुड़ा है, जब निम्बासुर नामक एक शक्तिशाली असुर ने बड़े पैमाने पर विनाश किया और अकाल का कारण बना. बता दें, निम्बासुर एक शक्तिशाली असुर था जो भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था.

राक्षस के क्रूर कर्मों से परेशान होकर ऋषि अगस्त्य ने पृथ्वी को राक्षस द्वारा किए गए विनाश से बचाने के लिए अनुष्ठान और कठोर तपस्या की, ऋषि ने राक्षस की क्रूरता को समाप्त करने के लिए देवी शक्ति से प्रार्थना की. ऋषि से प्रसन्न होकर, देवी शक्ति ने निम्बासुर का वध किया और पृथ्वी को वनस्पतियों से आशीर्वाद दिया और यही कारण है कि देवी को शाखम्भरी देवी के रूप में पूजा जाता है.