गर्म पानी के झरने, जिन्हें हॉट स्प्रिंग्स भी कहा जाता है, एक स्पेशल ज्योग्राफिकल फीचर है. जहां पृथ्वी के नीचे से गर्म पानी सतह पर आता है. ये झरने अक्सर ठंडे या बर्फीले इलाकों में पाए जाते हैं और इन्हें प्राकृतिक आश्चर्य माना जाता है. भारत में कई प्रसिद्ध गर्म पानी के झरने हैं, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हकी तरह होता है.
गर्म झरने क्या हैं?
गर्म पानी का झरना, जिसे जियोथर्मल स्प्रिंग भी कहा जाता है, पृथ्वी के क्रस्ट से गर्म भूजल के निकलने से बनने वाला एक झरना है. यह गर्म पानी या तो मैग्मा (पिघली हुई चट्टान) के उथले पिंडों द्वारा या पृथ्वी की क्रस्ट में गहरी गर्म चट्टानों में मौजूद थ्रस्ट फॉल्ट के माध्यम से प्रवाहित होकर गर्म होता है. इनमें से कुछ झरनों का पानी नहाने के लिए सुरक्षित तापमान का होता है, जबकि कुछ इतने गर्म होते हैं कि उनमें आप घायल हो सकते हैं या तो आपकी मृत्यु हो सकती है. जैसा कि हम जानते हैं, पृथ्वी जितनी गहराई में जाती है, उतनी ही गर्म होती जाती है और पृथ्वी के बाहरी कोर में मैग्मा (पिघली हुई चट्टान) पाया जाता है. यह मैग्मा (800°C) पृथ्वी की विभिन्न परतों से घिरा होता है.
जानिए भारत में कहां हैं गर्म पानी के झरने और उनमें नहाने से कैसे दूर होती हैं कई बीमारियां (Getty Images)
हॉट स्प्रिंग्स कैसे बनता है?
यदि पृथ्वी के क्रस्ट में कोई दरार या थ्रस्ट फॉल्ट है, तो मैग्मा से भारी मात्रा में हिट सपास की चट्टानों में ट्रांसफर हो जाएगा. अब, वह सारी थर्मल ऊर्जा उस थ्रस्ट फॉल्ट के साथ-साथ चट्टानों से नीचे मौजूद पानी में ट्रांसफर हो जाएगा. इसके साथ ही बता दें कि जैसे-जैसे पानी का तापमान बढ़ता है, उसका डेंसिटी कम होता जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्म पानी इस थ्रस्ट फॉल्ट के साथ-साथ गर्म झरनों के रूप में सतह की ओर ऊपर उठता है.
इस खबर में भारत के 7 सबसे लोकप्रिय गर्म झरनों के बारे में जानकारी दी गई है, पढ़ें…
पनामिक हॉट सल्फर स्प्रिंग (नुब्रा घाटी)
यह लेह शहर से 150 मीटर की दूरी पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के पास एक छोटे से गांव पनामिक में स्थित नॉर्दनमोस्ट हॉट वॉटर स्प्रिंग है. यह एक सल्फर युक्त गर्म झरना है और समुद्र तल से 10,442 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है.

जानिए भारत में कहां हैं गर्म पानी के झरने और उनमें नहाने से कैसे दूर होती हैं कई बीमारियां (Getty Images)
खीर गंगा, गर्म पानी का झरना
खीर गंगा हिमाचल प्रदेश के पार्वती घाटी में स्थित एक फेमस हॉट स्प्रिंग वॉटर है. यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां पहुंचने के लिए, आपको हिमालय के बीच एक लंबी पैदल यात्रा करनी होगी,अखाड़ा बाजार, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश 175101 में स्थित, यह सबसे मनोरम गर्म झरनों में से एक है.
मणिकरण साहिब
इसे सबसे पवित्र गर्म झरना माना जाता है और यह कई तीर्थयात्रियों का एक प्रमुख आकर्षण है. किसी भी अन्य गर्म झरने की तरह, पृथ्वी के भीतर से आने वाला पानी अपने साथ मिनरल्स, खासकर सल्फर, लेकर आता है. सल्फर की एक विशेष गंध होती है, जो सल्फर डाइऑक्साइड या हाइड्रोजन सल्फाइड गैस के कारण होती है. यह गंध स्किन डिजीज के इलाज के लिए फायदेमंद मानी जाती है, इसलिए लोग मणिकरण के गर्म पानी में स्नान करते हैं.

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तत्तापानी गर्म पानी का झरना
सतलुज नदी के तट पर बसा यह हिमालयी शहर तत्तापानी, तट के पास फूटने वाले गर्म गंधक के झरनों के लिए प्रसिद्ध है. वर्षों से स्थानीय लोगों का मानना है कि इन झरनों के पानी में चमत्कारी गुण होते हैं और यह जोड़ों के दर्द, थकान और तनाव से राहत प्रदान करता है.
गौरीकुंड
गौरीकुंड हॉट वॉटर स्प्रिंग समुद्र तल से 2040 मीटर की ऊंचाई पर और मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. गौरीकुंड केदारनाथ के रास्ते में पड़ने वाला एक गांव है जो समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गौरीकुंड गांव प्राकृतिक तापीय झरने के कारण भी लोकप्रिय है, जो हाल ही में आए भूकंप के बाद नष्ट हो गया था, लेकिन एक छोटी सी जलधारा अभी भी गांव से होकर बहती है. भारत में कई गर्म पानी के झरने बहते हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में यमुनोत्री मंदिर के पास भी एक गर्म पानी का झरना है, जो काफी लोकप्रिय है.

जानिए भारत में कहां हैं गर्म पानी के झरने और उनमें नहाने से कैसे दूर होती हैं कई बीमारियां (Getty Images)
युमथांग
सिक्किम यूनिक गर्म झरनों से भरा है, जो अपने चिकित्सीय गुणों के लिए जाने जाते हैं. सल्फर की हाई क्वांटिटी वाले इन गर्म झरनों के पानी में औषधीय गुण पाए जाते हैं और इनका औसत तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस होता है.
रेशी
रेशी सिक्किम में रंगीत नदी के तट पर स्थित है. यह पर्यटकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह एक रोजाना की सैरगाह है. गर्म झरनों के पास ही काह-दो सांग फू भी है, जिसे गुप्त परियों की एक पवित्र गुफा माना जाता है.