बारिश का मौसम शुरू हो गया है. हालांकि इस दौरान मौसम सुहावना होता है, लेकिन यह मौसम अपने साथ कई स्वास्थ्य समस्याएं भी लेकर आता है. मानसून के दौरान वायरल इंफेक्शन, एलर्जी, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी कई मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. हवा में नमी भी काफी होती है, जिसका असर पाचन क्रिया पर पड़ता है.
मानसून के दौरान इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है. चाहे कितनी भी सावधानी बरती जाए, संक्रामक रोग फिर भी हो ही जाते हैं. सर्दी-खांसी से लेकर डेंगू बुखार, मलेरिया, टाइफाइड और मच्छरों से होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याएं मानसून के दौरान बढ़ जाती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ फल खाने से मानसून के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिल सकती है. इसके अलावा, कुछ फल संक्रमण से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं.
बरसात के मौसम में इन फलों का जरूर करें सेवन, बीमारियों से रहेंगे दूर और बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता (IANS)
मानसून के मौसम में अपनी सेहत का ध्यान रखना सबसे जरूरी है. ऐसे में पाचन और मौसमी बीमारियों से बचने के लिए आपको अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कहा जाता है कि मानसून के दौरान इम्यून सिस्टम का मजबूत होना सबसे जरूरी है. शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए कुछ फलों का सेवन जरूरी है. इन फलों को खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है. साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है.
इन फलों का जरूर करें सेवन
- अमरूद: बरसात के दिनों में अमरूद खाना अच्छा होता है. अमरूद न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है अमरूद में विटामिन सी, आयरन और एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. जो पाचन के लिए अच्छा होता है यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है.

बरसात के मौसम में इन फलों का जरूर करें सेवन, बीमारियों से रहेंगे दूर और बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता (GETTY IMAGES)
- अनार: अनार सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसे खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है. इसमें विटामिन बी और फोलेट भी भरपूर मात्रा में होता है. अगर आप मानसून में इस फल को अपनी डाइट में शामिल करते हैं, तो यह रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ाने में फायदेमंद होता है. लेकिन हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को अनार खाने से बचना चाहिए.

बरसात के मौसम में इन फलों का जरूर करें सेवन, बीमारियों से रहेंगे दूर और बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता (GETTY IMAGES)
- सेब: सेब विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं. सेब के नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और एनर्जी भी मिलती है. मानसून में सेब खाने से वायरल इन्फेक्शन का खतरा कम होता है. सेब में फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फायदेमंद होते हैं. इनमें पाया जाने वाला फाइबर कब्ज और वजन घटाने के लिए अच्छा माना जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सेब के नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है.
- पपीता: पपीता भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. मानसून में पपीता जरूर खाना चाहिए. पपीते में पपेन एंजाइम होता है. जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम करता है. साथ ही इसे खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. साथ ही इसमें विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में होता है. साथ ही पपीते के पत्तों का जूस डेंगू बुखार में उपयोगी होता है. पपीते के पत्तों का जूस पीने से प्लेटलेट्स बढ़ती हैं. साथ ही यह सिरदर्द, थकान जैसी समस्याओं को भी दूर करता है.

बरसात के मौसम में इन फलों का जरूर करें सेवन, बीमारियों से रहेंगे दूर और बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता (GETTY IMAGES)
- नाशपाती: नाशपाती विटामिन सी से भरपूर होती है. यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करती है. मानसून में इसे खाना जरूरी है. यह पाचन के लिए भी जरूरी है. यह एक सुपरफूड है. कब्ज से परेशान लोग अगर नाशपाती खाएं तो इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए बहुत अच्छा होता है. इसके नियमित सेवन से मल को नरम करने में मदद मिलती है. नाशपाती कॉपर और फ्लेवोनॉयड जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं. जर्नल मॉलिक्यूल्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, फ्लेवोनॉयड सूजन को कम करने और टाइप 2 और स्ट्रोक के रिस्क को कम करने में मदद कर सकते हैं.
(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श लें.)
सोर्स-
https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8235518/
(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉक्टर या विशेषज्ञों से सलाह लें.)