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गला बैठना अब चिंता की बात नहीं, इन आयुर्वेदिक उपायों से पाएं तुरंत राहत


नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। गला बैठना एक बहुत आम समस्या है, खासतौर पर सर्दी-जुकाम, साइनस या गले में सूखापन होने पर आवाज अचानक भारी या कमजोर हो जाती है। कभी-कभी गले में जलन, खुजली, खांसते समय दर्द या बलगम भी साथ में होता है। आमतौर पर यह परेशानी कुछ दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन अगर आवाज को आराम न दिया जाए या सही देखभाल न की जाए, तो गला लंबे समय तक बैठा रह सकता है।


आयुर्वेद में कई सरल और असरदार नुस्खे बताए गए हैं, जो गला बैठने में काफी राहत देते हैं। सबसे आसान उपाय है अदरक का रस, नींबू का रस और थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार धीरे-धीरे पीना। इससे गले की सूजन कम होती है और आवाज जल्दी साफ होती है। मुलेठी, आंवला और मिश्री का हल्का-सा काढ़ा बनाकर पीना भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। मुलेठी तो गले के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। रात को सोते समय इसकी छोटी-सी गांठ मुंह में रखकर चूसने से सुबह गला साफ और हल्का महसूस होता है।

कुछ खास घरेलू नुस्खे भी बहुत असर दिखाते हैं। जामुन की गुठली का पाउडर शहद में मिलाकर छोटी गोलियां बनाकर दिन में चार बार चूसने से आवाज का बैठना और खांसी दोनों में राहत मिलती है। सुबह-सुबह चार-पांच मुनक्का चबाकर खाना और उसके बाद पानी न पीना भी लगातार खराश में राहत देता है। अगर गला बहुत ज्यादा बैठ गया हो, तो थोड़ा-सा कच्चा सुहागा लेना भी फायदेमंद होता है।

काली मिर्च भी इस स्थिति में काफी काम आती है। रात को सात काली मिर्च और बराबर मिश्री चबाकर सो जाएं, सुबह आवाज पहले से काफी साफ लगती है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा भी गले के दर्द और बैठी आवाज दोनों में अच्छा माना जाता है। नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे करना तो सबसे आसान और असरदार उपाय है। सौंफ चबाना भी सुबह के समय गले को काफी राहत देता है।

इन घरेलू उपायों से अधिकतर लोगों को फायदा मिलता है, लेकिन अगर आवाज दो सप्ताह से ज्यादा बैठी रहे, तेज दर्द हो या बुखार भी हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

–आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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