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अनुलोम-विलोम से चंद्र-सूर्य नाड़ी करें संतुलित, समझें असर और फायदे


नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। आज के तनाव भरे दौर में जब डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, नींद न आना और पाचन की समस्याएं आम हो गई हैं, एक छोटा-सा प्राणायाम इन सबको जड़ से खत्म कर सकता है। यह अनुलोम-विलोम या नाड़ी शोधन है।


आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में 72,000 नाड़ियां होती हैं। योग पद्धति और आयुर्वेद में इसे सबसे शक्तिशाली तकनीक माना जाता है, क्योंकि यह शरीर की दो मुख्य नाड़ियों इड़ा (चंद्र नाड़ी) और पिंगला (सूर्य नाड़ी) को संतुलित कर पूरी ऊर्जा और दिमाग को संतुलित कर देता है।

अनुलोम-विलोम में बारी-बारी से नाक के एक छिद्र से सांस लेकर दूसरे छिद्र से छोड़ते हैं। इससे दिमाग के बाएं-दाएं हिस्से एक साथ सक्रिय होते हैं।

वैज्ञानिक रिसर्च में देखा गया है कि इसे सिर्फ पांच मिनट करने से अल्फा ब्रेन वेव्स बढ़ जाती है, तनाव हार्मोन कोर्टिसोल कम होता है और वेगस नर्व उत्तेजित होने से पूरा नर्वस सिस्टम रीसेट हो जाता है। फेफड़े ज्यादा ऑक्सीजन लेते हैं, खून साफ होता है और सेरोटोनिन या खुशी का हार्मोन बढ़ जाता है।

अनुलोम-विलोम के अभ्यास से कई फायदे मिलते हैं। माइग्रेन-सिरदर्द में राहत मिलती है और हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।

अस्थमा-साइनस में फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। थायरॉइड और हार्मोनल असंतुलन (पीसीओएस) में फायदा होता है। गैस-अपच-एसिडिटी जड़ से खत्म होते हैं। चेहरे पर ग्लो, झुर्रियां कम, स्किन यंग बनी रहती है। तनाव-एंग्जायटी-गुस्सा-फोबिया में बेहतर असर होता है। अनिद्रा की समस्या दूर होती है और गहरी नींद आती है। इम्यूनिटी और मेटाबॉलिज्म मजबूत होते हैं और धड़कन के साथ कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि अनुलोम-विलोम के अभ्यास का सही तरीका क्या है? सुबह खाली पेट, सीधी रीढ़ के साथ शांत जगह पर बैठें। दाएं अंगूठे से दाहिना नथुना बंद करें, बाएं से सांस लें, फिर बाएं नथुना बंद कर दाएं से छोड़ें। यही क्रम दोहराएं। शुरुआत में 5 मिनट, फिर 10-15 मिनट तक करें। कोई जोर नहीं, शांत और धीमी सांस के साथ धीरे-धीरे समय बढ़ाना चाहिए।

–आईएएनएस

एमटी/एबीएम

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