उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर 12 दिन से फंसे हैं. भूस्खलन के बाद गिरे मलबे से टनल का द्वार अब भी बंद है. ऑगर ड्रिलिंग मशीन में तकनीकी खराबी आने के बाद ड्रिलिंग कार्य जो रोक दिया गया था, हालांकि शुक्रवार सुबह को मशीन ठीक कर लिया गया. जल्द ही ड्रिलिंग कार्य फिर से शुरू होगा. टनल में 48 मीटर तक अबतक ड्रिलिंग कार्य किया जा चुका है.
टनल हादसे के 10 बड़े अपडेट्स
- उत्तरकाशी के सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए शुक्रवार सुबह खाना पैक किया गया. भोजन के पैकेट को पाइप के सहारे टनल के अंदर पहुंचाया जाएगा.
- पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुलबे के मुताबिक, टनल में फंसे मजदूरों को निकालने में अभी शाम तक का समय लग सकता है. 14 मीटर ड्रिल करना अब भी बाकी है.
- उत्तरकाशी टनल हादसे में मजदूरों को निकालने के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- टनल हादसे को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बात की है. मंत्री नितिन गडकरी ने भी सीएम धामी से बचाव कार्य की जानकारी ली है.
- केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह ने बचाव कार्यों का जायजा लिया है. वह गुरुवार को सिलक्यारा में थे.
- सीएम धामी ने टनल के अंदर फंसे दो श्रमिकों-गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से बात की और उनका मनोबल बढ़ाया.
- टनल में फंसे सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं. इनमें से कई ने अपने परिजन से भी बात की है.
- छोटी पाइप के जरिए खाना और दवाइयां टनल के अंदर भेजी जा रही हैं. टनल के अंदर फंसे मजदूरों की तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिसमें वह खाना खाते हुए दिखाई दिए थे.
- वहीं इस हादसे पर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा है कि जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा. हालांकि, बचाव कार्य में कुछ बाधाएं आ रही हैं.
- अधिकारियों के मुताबिक, एक बार पाइप जैसे ही मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो बचाव कार्य में जुड़े जवान अंदर जाकर मजदूरों को एक-एक कर बाहर लाएंगे. जवानों ने इसके लिए पूर्वाभ्यास भी किया है. यह हादसा 12 नवंबर को हुआ था. निर्माणाधीन टनल का आगे का हिस्सा ढह गया था, जिससे 41 मजदूर अंदर ही फंसे हुए हैं.
आज रात तक मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अभी स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था। सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन कर दिया और इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद हमने ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है उसे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। आज रात तक उनके बाहर आने की उम्मीद है।