देहरादून:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी जिले के अशासकीय विद्यालयों में लिपिक और शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी होने की शिकायत पर एसआईटी (विशेष जांच टीम) जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम ने शिक्षा सचिव को दिए गए निर्देश में कहा है कि जांच कर मामले की सच्चाई को जांचा जाए और अगर आपत्तिजनकता पाई जाती है तो कार्रवाई की जाए। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने सक्रिय उपाय करने का दिशा-निर्देश दिया है ताकि शिक्षा क्षेत्र में न्याय और समानता की स्थिति बनी रहे।”
पौड़ी जिले के निवासी राजेश सिंह ने मुख्यमंत्री से अपनी शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें उन्होंने उज्ज्वल की है कि कुछ अशासकीय विद्यालयों में वित्तीय अनियमितता और नियुक्तियों में गड़बड़ी हो रही है। उनकी इस शिकायत पर शिक्षा विभाग ने एक SIT जांच के लिए 4 अक्तूबर 2023 को सिफारिश की थी, लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
राजेश सिंह ने कहा कि इस अनियमितता और गड़बड़ी के मामले में सरकारी निकायों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि शिक्षा क्षेत्र में न्याय और समानता का सामर्थ्य बना रहे। उन्होंने इस मामले में जल्दी से न्याय प्राप्त करने की मांग की है और लोगों को निश्चित किया है कि वे इस मुद्दे का निरंतर निगरानी करेंगे।
यहां दिए गए मामलों में कई गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितियाँ सामने आई हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार, एक स्कूल प्रबंधक ने प्रबंध समिति के सदस्यों से धनराशि जमा कराई, लेकिन इसे स्कूल के वित्तीय नियमों का पालन नहीं किया गया। इसके बजाय, उसने इस धनराशि को अपने निजी कार्य में खर्च किया और स्कूल के पुराने खातों को बंद कर दिया गया। इस तरह की गलती ने स्कूल के वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है और इसे संबंधित अधिकारियों के साथ समझौते के साथ खुर्दबुर्द किया गया है।
दूसरे मामले में, एक अशासकीय स्कूल में हिंदी शिक्षक के पद पर भर्ती के लिए विशेषज्ञ की असहमति के बावजूद, तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी ने नियमों को ताक पर रखकर भर्ती को अनुमोदन दिया है। शिकायतकर्ता ने इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज की है और विभाग ने पूर्व में मुख्य शिक्षा अधिकारी से जवाब मांगा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
तीसरे मामले में, एक अन्य स्कूल में लिपिक के आरक्षित पद पर सामान्य व्यक्ति की नियुक्ति की गई है, जबकि उस पर गबन के आरोप में मुकदमा चल रहा है। इस प्रकार के अनियमितियों ने स्कूलों के प्रशासनिक और वित्तीय संगठन में बड़ी संकट उत्पन्न किया है, जिसे सुलझाने के लिए शिक्षा विभाग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।