नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए ’13 जुलाई’ का दिन बेहद खास है। इसी दिन टीम इंडिया ने अपना पहला वनडे मैच खेला था। यह वह दौर था, जब वनडे फॉर्मेट 60-60 ओवरों का हुआ करता था।
यूं तो, वनडे इतिहास का पहला मैच साल 1971 में खेला गया था, लेकिन टीम इंडिया ने इस प्रारूप में अपना पहला मैच करीब तीन साल बाद खेला। तब वनडे मैच टेस्ट मैच की परछाई सरीखे थे। टीमें सफेद जर्सी पहनकर मैदान पर उतरती थी। तेज-तर्रार शॉट्स से ज्यादा ध्यान तकनीक और खराब गेंदों पर रन बनाने पर रहता था। तब 5 रन प्रति ओवर से अधिक की दर बल्लेबाजों के लिए काफी अच्छी थी।
टेस्ट क्रिकेट के क्लासिक खेल के बाद वनडे क्रिकेट फैंस के लिए ताजे हवा के झोंके सरीखा था। टीम इंडिया ने साल 1974 में अपना पहला वनडे मैच जब खेला, तब टीम की कमान अजीत वाडेकर के हाथों में थी। मुकाबला इसलिए और भी खास हो गया क्योंकि ये भारत-इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला गया था।
मेजबान इंग्लैंड ने मुकाबले में टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला लिया। भारत की ओर से सुनील गावस्कर और सुधीर नाइक बतौर सलामी बल्लेबाज मैदान पर उतरे और कुछ बाउंड्री के साथ भारत के स्कोरबोर्ड को गति दी।
दोनों बल्लेबाजों के बीच 44 रन की साझेदारी हुई। नाइक 29 गेंदों में दो चौकों की मदद से 18 रन बनाकर आउट हुए, जिसके कुछ देर बाद सुनील गावस्कर भी अपना विकेट गंवा बैठे। गावस्कर ने 35 गेंदों में एक छक्के और तीन चौकों के साथ 28 रन की पारी खेली।
भारतीय टीम 60 के स्कोर तक सलामी बल्लेबाजों के अलावा गुंडप्पा विश्वनाथ (4) का विकेट गंवाकर मुश्किल में पड़ चुकी थी, लेकिन यहां से अजीत वाडेकर ने कप्तानी पारी खेलते हुए फारुख इंजीनियर के साथ चौथे विकेट के लिए 70 रन जोड़े, जिसने भारत को संकट से उबार दिया।
फारुख इंजीनियर 32 रन बनाकर पवेलियन लौटे, जिसके बाद बृजेश पटेल ने कप्तान का साथ दिया। दोनों बल्लेबाजों ने पांचवें विकेट के लिए 51 रन जुटाए।
कप्तान वाडेकर ने 82 गेंदों में 67 रन बनाए। उनकी इस पारी में 10 चौके भी शामिल रहे, जबकि बृजेश पटेल ने 78 गेंदों में दो छक्कों और आठ चौकों की मदद से 82 रन की पारी खेली। भारतीय टीम 53.5 ओवरों में 265 रन पर सिमट गई।
विपक्षी टीम की ओर से क्रिस ओल्ड ने सर्वाधिक तीन विकेट झटके, जबकि ज्योफ अर्नोल्ड, रॉबिन जैकमैन और बॉब वूल्मर को दो-दो सफलता हाथ लगी। ये बॉब वूल्मर वही थे, जिन्होंने बाद में कोचिंग की दुनिया में अपना नाम कमाया। 2007 के वर्ल्ड कप में उनके आकस्मिक निधन से क्रिकेट जगत को सन्न कर दिया था। तब वह पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कोच थे। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वूल्मर का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था।
भारत और इंग्लैंड के मैच में मेजबान टीम ने 51.1 ओवरों में जीत दर्ज की थी। मेजबान देश 96 के स्कोर तक डेनिस एमिस (20), डेविड लॉयड (34) और कप्तान माइक डेनेस (8) का विकेट गंवा चुकी थी।
यहां से जॉन एडरिच ने कीथ फ्लेचर के साथ चौथे विकेट के लिए 83 रन जोड़ते हुए टीम को जीत की पटरी पर ला दिया। एडरिच ने 97 गेंदों में एक छक्के और छह चौकों की मदद से 90 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली। वहीं, कीथ फ्लेचर ने टीम के खाते में 39 रन जोड़े। इनके अलावा, टॉनी ग्रेग ने 28 गेंदों में 40 रन बनाते हुए टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
भारत की ओर से बिशन बेदी और एकनाथ सोल्कर ने दो-दो विकेट झटके, जबकि मदन लाल और श्रीनिवास वेंकटेश्वरन ने एक-एक विकेट अपने नाम किया।
इंग्लैंड ने इस वनडे मैच को 4 विकेट से अपने नाम किया और इसके बाद दूसरे मुकाबले को भी जीतकर छह विकेट से जीतकर सीरीज 2-0 से अपने नाम की।
भले ही टीम इंडिया ने वनडे इतिहास के अपने पहले मैच और पहली सीरीज को गंवाया, लेकिन समय के साथ उसने विश्व पटल पर इस फॉर्मेट में अपने शानदार खेल को दुनिया के सामने पेश किया। भारत ने दिखाया कि भले ही उसने इस प्रारूप की शुरुआत कुछ सालों बाद की, लेकिन उसे कमजोर नहीं आंका जा सकता। करीब नौ वर्ष बाद साल 1983 का वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इस फॉर्मेट में अपनी बादशाहत को भी साबित कर दिया। आज भारत क्रिकेट में वैश्विक शक्ति है और वनडे में दो बार विश्व कप जीत चुका है।
–आईएएनएस
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