“दारोगा दीदी योजना” और उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध
उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और स्कूली बच्चों के साथ छेड़छाड़ के प्रतिदिन दो से तीन मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच, छात्राओं की सुरक्षा के लिए लागू की गई “दारोगा दीदी योजना” ठंडे बस्ते में चली गई है। इस योजना के तहत दारोगा दीदी को समय-समय पर स्कूलों में जाकर छात्राओं को जागरूक करने और उनसे संवाद कर उनकी समस्याओं को सुनने का कार्य सौंपा गया था। अब इस योजना की निष्क्रियता के कारण सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
दारोगा दीदी योजना: छात्राओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई योजना अब ठंडे बस्ते में
छात्राओं की सुरक्षा के लिए लागू की गई “दारोगा दीदी योजना” अब ठंडे बस्ते में चली गई है। एक वर्ष पूर्व, कुमाऊं के तत्कालीन आइजी डा. नीलेश आनंद भरणे ने इस योजना की शुरुआत हल्द्वानी से की थी, और इसे पूरे कुमाऊं मंडल में लागू किया जाना था।
इस योजना के तहत स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा के लिए एक दारोगा को एक-एक स्कूल का जिम्मा सौंपा गया था। दारोगा दीदी का कार्य स्कूलों में जाकर समय-समय पर छात्राओं को जागरूक करना और उनसे संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को सुनना था। लेकिन अब इस योजना की निष्क्रियता ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है।