देहरादून। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक संसद में पारित होने के बाद अब उत्तराखंड में भी राज्य सरकार महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इस कड़ी में राज्य महिला आयोग की ओर से तैयार किए गए उत्तराखंड राज्य महिला नीति के ड्राफ्ट को लेकर सरकार सक्रिय हो गई है। उच्च स्तर पर विभागों के साथ बैठकों का क्रम पूरा होने के बाद अब जल्द ही महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री के स्तर पर बैठक होगी।
कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा प्रस्ताव
इस बैठक में ही नीति के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा और फिर इसका प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। राज्य सरकार ने कुछ समय पहले ही राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की थी। अब महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिला नीति के लिए कसरत चल रही है।
महिला सशक्तीकरण नीति को केंद्र में रखा गया
उत्तराखंड राज्य महिला नीति का प्रारंभिक ड्राफ्ट राज्य महिला आयोग ने तैयार किया था। केंद्र की महिला सशक्तीकरण नीति को केंद्र रखकर बनाए गए इस ड्राफ्ट में महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक व राजनीति उन्नयन पर जोर दिया गया है। यही नहीं, विभागवार तैयार की जाने वाली नीतियों व योजनाओं को महिला केंद्रित बनाने और इसमें भी विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं को केंद्र में रखने की जरूरत ड्राफ्ट में बताई गई है। इसके अलावा प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर देने समेत अन्य कई विषय भी इसमें शामिल किए गए हैं।
महिला नीति के ड्राफ्ट को दिया जाना है अंतिम रूप
प्रारंभिक ड्राफ्ट को लेकर सरकार ने विभागों से मंतव्य मांगा। साथ ही अपर मुख्य सचिव स्तर की बैठकों में विभागीय अधिकारियों के साथ इसे लेकर मंथन हो चुका है। अब महिला नीति के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाना है।
रेखा आर्या ने कही ये बात
राज्य निर्माण से लेकर उसके विकास में मातृशक्ति का योगदान किसी से छिपा नहीं है। इसी क्रम में महिला नीति बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। नीति में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने से लेकर उनसे जुड़े सभी विषयों को शामिल किया जा रहा है। जल्द ही नीति का फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। –रेखा आर्या, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री
महिला नीति के ड्राफ्ट के मुख्य बिंदु
- महिलाओं के लिए अनुकूल सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक वातावरण
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं को मिले समान भागीदारी
- महिला व बालिका स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के समाधान को उठें प्रभावी कदम
- सार्वभौमिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए महिलाओं को मिले विशेष प्रोत्साहन
- सशक्त नीतियों, कानूनों, कार्यक्रमों, संस्थाओं व सामुदायिक सहभागिता से सभी प्रकार की हिंसा का उन्मूलन
- लैंगिक असमानता को दूर करने को निगरानी, मूल्यांकन और डाटा सिस्टम का सशक्तिकरण