देहरादून. उत्तराखंड की महिला बाल विकास विभाग मंत्री रेखा आर्या ने शुक्रवार को दो बड़े फैसले लिए हैं. पहला फैसला वात्सलय योजना से जुड़ा है जिसके आवेदन के समय को 31 मई तक बढ़ाने के साथ ही इस योजना में उन बच्चों को भी जोड़ा गया है जिनके अभिभावकों की कोरोना के अलावा दूसरी गंभीर बीमारी के चलते घर पर ही मृत्यु हुई हो. इस योजना का लाभ लेने के लिए परिजन सेल्फ एफिडेविट लगाकर अप्लाई कर सकते है. इसके अलावा महिलाओं को अब पहले बेटे के जन्म पर महालक्ष्मी किट देने का फैसला किया गया है, जिसमें महिला के लिए पोषाहार के अलावा बच्चे के लिए भी सामान होगा.
जानकारी के मुताबिक, अभी तक उत्तराखंड के 4057 बच्चों को वात्सल्य योजना से जोड़ा जा चुका है जिसमें 21 वर्ष की आयु होने तक भरण-पोषण भत्ता के रूप में 3 हजार रुपये हर महीने लाभर्थियों को दिया जाता है. बता दें कि वात्सल्य योजना करीब एक साल पहले शुरू हुई थी. जबकि नंदा गौरा देवी योजना से भी प्रदेश की बेटियों को फायदा देने का मकसद साकार हो सके. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
महिलाओं को पहले बेटे के जन्म पर मिलेगी महालक्ष्मी किट
उत्तराखंड की महिला बाल विकास विभाग मंत्री रेखा आर्या ने दूसरा फैसला महालक्ष्मी किट को लेकर लिया है. अब महिला के पहले बेटे के जन्म देने पर महालक्ष्मी किट मिलेगी. दरअसल महिला के लिए पोषाहार और नवजात को कपड़े, तेल, क्रीम जैसे उत्पाद सरकार किट के जरिए देती है. बता दें कि राज्य में अभी तक यह किट बेटियों के जन्म पर ही मिलती थी.
महालक्ष्मी किट में क्या खास
महालक्ष्मी किट में माताओं के लिए 250 ग्राम बादाम गिरी, अखरोट, सूखे खुमानी, 500 ग्राम छुआरा, दो जोड़ी जुराब, स्कार्फ, दो तौलिये, शाल, कंबल, बेडशीट, दो पैकेट सैनेटरी नेपकिन, 500 ग्राम सरसों का तेल, साबुन, नेलकटर जैसे सामान मिलते हैं. वहीं, नवजात बेटी की किट में दो जोड़ी सूती और गर्म कपड़े, टोपी, मौजे, 12 लंगोट, तौलिया, बेबी सोप, रबर शीट, गर्म कंबल, टीकाकरण कार्ड और पोषाहार कार्ड शामिल होता है. साफ है कि अब राज्य की महिलाओं को पहले बेटे और पहली बेटे के जन्म पर सरकार की तरफ से अच्छी खासी मदद मिलेगी.