मोदी 3.0 के पहले बजट से हिमालयी राज्य उत्तराखंड को विशेष आशाएं हैं। कहा जा रहा है कि बजट इस प्राथमिकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जो आगामी पांच वर्षों के विकास एजेंडे पर केंद्रित होगा। इससे संबंधित अनुमान है कि इसमें पहले से चल रही योजनाओं के लिए नई प्रावधान शामिल किए जाएंगे, जैसे कि ढांचागत विकास, कौशल विकास, खेती बाड़ी और स्वरोजगार से संबंधित।
उत्तराखंड जैसे राज्य को भी इसका फायदा होगा। पेयजल और सिंचाई की समस्या को हल करने के लिए, कुमाऊं और गढ़वाल में बनाई जा रही जमरानी और सौंग बांध परियोजना के लिए राज्य सरकार केंद्र से सहायता चाहती है। जमरानी को पीएमकेएसवाई में शामिल किया गया है ताकि इसे वित्तीय रूप से समर्थन प्राप्त हो सके, लेकिन सौंग बांध परियोजना के लिए राज्य सरकार को अभी तक सफलता प्राप्त करने में समर्थता नहीं मिली है।
उत्तरकाशी तक रेल पहुंचाने की योजना के लिए सरकार को केंद्रीय बजट में सौंग बांध परियोजना के लिए वित्तीय पोषण की गारंटी देने की आवश्यकता है। राज्य सरकार चाहती है कि जैसे ही ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल कार्य शुरू हुआ है, वैसी ही तेजी से बागेश्वर और उत्तरकाशी तक रेल पहुंचाने की योजना में केंद्र सरकार से सहायता की मांग कर रही है।
इसके लिए प्रदेश सरकार ऋषिकेश-उत्तरकाशी और टनकपुर-बागेश्वर रेल परियोजनाओं में केंद्र से विशेष प्रावधान की उम्मीद कर रही है। ये रेल परियोजनाएं चीन, तिब्बत और नेपाल के सीमाओं से जुड़े इलाकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण हैं, न केवल कनेक्टिविटी की बल्कि सामरिक दृष्टि से भी।
पर्यटन राज्य को ढांचागत विकास में मदद की उम्मीद है। राज्य चाहता है कि ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन, रोपवे परियोजनाएं और साहसिक खेल गतिविधियों में भी केंद्र से विशेष मदद मिले।
भूस्खलन की समस्या का समाधान के लिए लैंड स्लाइड ट्रीटमेंट के लिए शोध संस्थान खोलने की मांग की जा रही है। राज्य में क्रोनिक लैंड स्लाइड जोन के लिए कोई अध्ययन केंद्र नहीं होने के कारण, इसे सीमांत जिलों जैसे कि चमोली, पिथौरागढ़ या चंपावत में ही स्थापित किया जाए। इसके लिए भी केंद्रीय बजट में प्रावधान की उम्मीद है।
उत्तराखंड को पर्यटन और तीर्थाटन राज्य होने के कारण हर वर्ष इसकी सवा करोड़ की आबादी से कई गुना अधिक, लगभग आठ करोड़ लोग यात्रा और सैर-सपाटे के लिए उत्तराखंड आते हैं। इसके लिए राज्य सरकार को करोड़ों लोगों के लिए मौलिक सुविधाएं जुटानी होती हैं, जिसमें सरकार केंद्रीय योजनाओं में वित्तीय प्रावधान फ्लोटिंग आबादी के हिसाब से चाहती है।
सीतारमण बजट से इसी उम्मीद की जाती है कि:
1. पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन से जुड़े हजारों कर्मचारियों के लिए केंद्रीय बजट में नई पेंशन योजना में कर्मचारी हित में बदलाव हो।
2. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की तरह जल जीवन मिशन योजना के कार्यों की मरम्मत के लिए केंद्रीय सहायता का प्रावधान हो।
3. एसडीआरएफ योजना में हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन और वनाग्नि को शामिल किया जाए।
4. दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वीजीएफ फंडिंग से 8000 करोड़ की वाइबिलिटी गेप का प्रावधान हो।
5. सामाजिक सुरक्षा के लिए वृद्धावस्था पेंशन में केंद्रांश को 200 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह हो।
6. मनरेगा कार्यक्रम के तहत पर्वतीय राज्यों के लिए श्रम और सामग्री के 60 अनुपात 40 के स्थान पर 50 अनुपात 50 हो।