देहरादून : उत्तराखंड में ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की वास्तविक संख्या का आकलन करने के लिए सर्वे कराया जाएगा, साथ ही उन्हें पहचान पत्र जारी करने के लिए एक प्रभावी तंत्र भी बनाया जाएगा। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय को रोजगार में समान अवसर प्रदान करने के लिए एक विशेष नीति भी तैयार की जाएगी।
ट्रांसजेंडर पर्सन्स कल्याण बोर्ड का गठन
राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा और कल्याण के लिए उत्तराखंड ट्रांसजेंडर पर्सन्स कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड समाज कल्याण विभाग के तहत काम करेगा, और इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। इसके अतिरिक्त, समाज कल्याण, गृह, वित्त, कार्मिक, शहरी विकास, पंचायतीराज और अन्य संबंधित विभागों के सचिव, ट्रांसजेंडर समुदाय के पांच विशेषज्ञ और इनसे जुड़े गैर-सरकारी संगठनों का एक प्रतिनिधि इस बोर्ड के सदस्य होंगे।
सर्वे और पहचान पत्र की व्यवस्था
बोर्ड की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की संख्या का सर्वे कराना, ताकि उनके वास्तविक आंकड़े जुटाए जा सकें। इसके अलावा, उन्हें पहचान पत्र जारी करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा। वर्तमान में जिलाधिकारियों को पहचान पत्र जारी करने का अधिकार है, लेकिन बोर्ड इसे अधिक सुगम और प्रभावी बनाने के लिए कार्य करेगा।
केंद्र की नियमावली के अनुरूप कदम
बोर्ड केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी की गई नियमावली को अंगीकृत करेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा। इसके तहत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं तक ट्रांसजेंडर समुदाय की पहुंच सुगम बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। साथ ही, मौजूदा सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा की जाएगी, ताकि इन्हें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए और अधिक संवेदनशील और समावेशी बनाया जा सके।
शिकायतों की निगरानी और समाधान
बोर्ड ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिकायतों का समाधान भी करेगा और इसके लिए एक प्रभावी निगरानी प्रणाली बनाई जाएगी। इसके तहत शिकायतों की जांच और समाधान के लिए समय सीमा तय की जाएगी, ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय को उनके अधिकारों की रक्षा और न्याय मिल सके।
समुदाय की लंबी मांग पूरी हुई
ट्रांसजेंडर समुदाय और उनके संगठनों द्वारा लंबे समय से कल्याण बोर्ड के गठन की मांग की जा रही थी। हालांकि, 2020 से इस पर काम चल रहा था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह अटका हुआ था। अब, कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
इस बोर्ड के गठन के बाद, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए नीति निर्धारण और क्रियान्वयन के दिशा में महत्वपूर्ण सुधार होंगे, जो उनके सामाजिक और आर्थिक समावेशन के लिए सहायक सिद्ध होंगे।