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अगर ये गुरु न होते, तो शायद आज हम इस स्थान पर नहीं पहुंच पाते…अधिकारियों ने अपने शिक्षकों को याद किया।

शिक्षक दिवस के मौके पर अधिकारियों ने अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। शिक्षा महानिदेशक और निदेशक ने बताया कि उनकी वर्तमान सफलता का श्रेय उनके गुरुजनों को ही है। उन्होंने कहा कि अगर ये शिक्षक न होते, तो शायद आज वे इस उपलब्धि तक नहीं पहुंच पाते।

शिक्षा विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी और एससीईआरटी की निदेशक बंदना गब्र्याल ने शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने गुरुजनों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यदि उनके शिक्षक न होते, तो वे शायद आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। हर शिक्षक की यह आकांक्षा होती है कि उनका शिष्य उनके दिखाए मार्ग पर चलकर उनके नाम को उज्ज्वल करे।

शिक्षा महानिदेशक के अनुसार, उनकी पहली गुरु उनकी मां, सावित्री देवी थीं, जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना किया। उनकी मां का विवाह 16 साल की उम्र में हो गया था। महानिदेशक को अच्छे से याद है कि जब वे आठवीं कक्षा में थे, तो गणित के शिक्षक पुरुषोत्तम ने जो शिक्षा दी, वह जीवन में समय-समय पर उनके काम आई। 12वीं कक्षा में, उनके शिक्षक रामानुज ने रसायन विज्ञान पढ़ाया। उन्होंने बताया कि उनके शिक्षकों ने हर कठिन राह को सरल बनाने में मदद की और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शिक्षा दी।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की निदेशक, बंदना गब्र्याल, बताती हैं कि उनकी प्राथमिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक विद्यालय सोसा चौदास, तहसील धारचूला से प्राप्त हुई, और माध्यमिक शिक्षा जीजीआईसी धारचूला से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा डीएसबी कैंपस, नैनीताल से ग्रहण की। विभाग की निदेशक होने के बावजूद, जब भी वे शिक्षकों को देखती हैं, तो उन्हें गुरु के रूप में ही देखती हैं। वे बताती हैं कि बच्चा साल भर में 220 कार्यदिवस शिक्षकों के सानिध्य में रहता है।

विशेष सहयोग

समग्र शिक्षा के अपर राज्य परियोजना निदेशक, डॉ. मुकुल कुमार सती, के अनुसार, हिंदी माध्यम से पढ़ाई की वजह से डीएसबी महाविद्यालय नैनीताल में बीएससी करते समय उन्हें अंग्रेजी में शुरूआत में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हालांकि, महाविद्यालय के प्रोफेसर एसपीएस मेहता ने उन्हें विशेष सहयोग प्रदान किया। अतिरिक्त समय में प्रोफेसर मेहता ने उन्हें पढ़ाया और पाठ्य पुस्तकें महंगी होने के कारण, पैसे की कमी के बावजूद, उन्होंने उन्हें पुस्तकें उपलब्ध कराईं। उनके मार्गदर्शन के कारण वे आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं।

माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की स्थिति

माध्यमिक शिक्षा में, 2241 शिक्षक ऐसे हैं जो सुगम क्षेत्रों की बजाय दुर्गम क्षेत्रों में ही तैनात रहना पसंद करते हैं। यह स्थिति तब है, जब कुछ शिक्षक सुगम स्थानों पर तबादले के लिए पूरे साल अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक के चक्कर लगाते रहते हैं।

बंदना गब्र्याल का सुझाव

बंदना गब्र्याल ने कहा कि शिक्षकों को “हमारा विद्यालय” के बजाय “मेरा विद्यालय” की सोच रखनी चाहिए और ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि छात्रों की रुचि के अनुसार उन्हें वे विषय दिए जाएं जिनमें उनकी वास्तविक दिलचस्पी है।

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