निशंक बताते हैं कि बतौर मुख्यमंत्री, मैंने राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर 2010 को रतन टाटा को आमंत्रित किया था। उन्होंने बड़ी सहजता से निमंत्रण स्वीकार किया और इस कार्यक्रम में भाग लिया।पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अनुसार, पद्म विभूषण रतन टाटा उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत प्रभावित थे। उनका इस राज्य के प्रति गहरा आत्मीय लगाव था और वे यहां बसने का सपना देखते थे।
निशंक बताते हैं कि बतौर मुख्यमंत्री, मैंने राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर 2010 को रतन टाटा को आमंत्रित किया था। उन्होंने बड़े सहजता से निमंत्रण स्वीकार किया और कार्यक्रम में शामिल हुए। नैनो कार की लॉन्चिंग से लेकर उसके उत्पादन की प्रक्रिया तक, उनका उत्तराखंड आना-जाना लगा रहा।
निशंक कहते हैं कि रतन टाटा को साहित्य, कला, संगीत, योग और ध्यान में गहरी रुचि थी। जब मैंने उनसे पूछा कि वह इन सब के लिए कैसे समय निकाल लेते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि काम के बाद जो समय बचता है, उसे यही सब चीजें करने में बिताते हैं। निशंक के अनुसार, देश ने एक अमूल्य हीरा खो दिया है। उनका सपना था कि हर गरीब को सक्षम बनाया जाए। वे देश को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए जीवनभर संकल्पित रहे, और देश उनके योगदान को कभी नहीं भुला सकता।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि टाटा ने अपने जीवन को देश की औद्योगिक प्रगति और सामाजिक विकास के लिए समर्पित किया। उनके दृष्टिकोण, समर्पण और व्यावसायिक कुशलता ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, साथ ही उन्होंने राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएम ने यह भी कहा कि टाटा ने रोजगार सृजन, समाज के सशक्तिकरण और नवाचार के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।