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केंद्र ने किसानों की आय दोगुनी करना तो दूर, लागत दोगुनी कर दी : हरसिमरत

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नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने मंगलवार को कहा कि वादे के मुताबिक, किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो दूर, केंद्र सरकार ने खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बावजूद किसानों की लागत दोगुनी करने की पहल की है। पिछले आठ वर्षो के दौरान सालाना दो से पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।

उन्होंने लोकसभा में सवाल उठाया कि सरकार द्वारा मांगे जा रहे 4 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का कितना हिस्सा किसानों तक पहुंचेगा।

यह कहते हुए कि किसान आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं और खैरात पर नहीं रहना चाहते, बठिंडा की सांसद ने कहा, जरूरत एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी के साथ-साथ फसल के उत्पादन की कुल लागत पर 50 प्रतिशत लाभ किसानों को देना सुनिश्चित करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले के मुताबिक एमएसपी तय करने की है।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में पहला कदम आंदोलनकारी किसानों को एक साल पहले विरोध वापस लेने के बाद दिए गए लिखित आश्वासन के अनुसार, एमएसपी समिति का पुनर्गठन करना था।

हरसिमरत ने कहा, सरकार को एमएसपी को भी कानूनी अधिकार बनाना चाहिए, जैसा कि किसानों से वादा किया गया था, ताकि किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में जहां डीजल की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है, वहीं यूरिया जैसे उर्वरकों की कीमत 175 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बोरी से बढ़कर 45 किलोग्राम बैग के लिए 270 रुपये हो गई है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह डीएपी की कीमत 1125 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति बैग कर दी गई है। उन्होंने यह भी विस्तार से बताया कि कैसे कीटनाशकों और बीजों पर क्रमश: 18 और 12 प्रतिशत जीएसटी और ट्रैक्टर पर 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है।

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की नेता ने यह भी बताया कि किस तरह पंजाब के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य के नदियों का पानी छीनने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि नदी के पानी पर पंजाब का विशेष अधिकार है।

सांसद ने कहा, चंडीगढ़ पर राज्य की राजधानी के रूप में पंजाब के अधिकार को कम करने के लिए एक भयावह साजिश भी शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य के बावजूद किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने 1970 में चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को दोहराया था और राजीव-लोंगोवाल समझौते को संसद द्वारा भी अनुमोदित किया गया था।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र में कांग्रेस के शासन के दौरान पीड़ित पंजाब अब फिर से वर्तमान व्यवस्था के तहत पीड़ित हो रहा है।

उन्होंने उम्रकैद की सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद सिख बंदियों की रिहाई की अपील की।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि श्री गुरु नानक देव की 550वीं जयंती समारोह के दौरान बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को कम करने के साथ-साथ सभी सिख बंदियों की उम्रकैद की सजा को कम करने की घोषणा करने वाले एक लिखित आदेश के बावजूद, उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया है।

–आईएएनएस

एसजीके

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