देहरादून: प्रदेश की धामी सरकार लगातार ही स्वरोजगार पर जोर दे रही है। इसके पीछे मंशा गांवों से पलायन की रोकथाम के साथ ही प्रवासियों की घर वापसी सुनिश्चित कर उनके अनुभवों के आधार उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना भी है। इस सिलसिले में कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन आशानुरूप परिणाम का इंतजार है। इसे देखते हुए स्वरोजगार योजनाओं के मानकों में शिथिलीकरण अथवा बदलाव के लिए भी पहल हो रही है।
इसी कड़ी में पलायन निवारण आयोग अब राज्य में सफल उद्यमियों के अनुभव व सुझाव जानने के उद्देश्य से उनके सम्मेलनों की श्रृंखला शुरू करने जा रहा है। पांच व छह दिसंबर को पौड़ी में तीन जिलों के उद्यमियों के सम्मेलन से इसकी शुरुआत होगी।
पांच और छह दिसंबर को पौड़ी में होगी समिट
इसी कड़ी में पलायन निवारण आयोग अब राज्य में सफल उद्यमियों के अनुभव व सुझाव जानने के उद्देश्य से उनके सम्मेलनों की श्रृंखला शुरू करने जा रहा है। पांच व छह दिसंबर को पौड़ी में तीन जिलों के उद्यमियों के सम्मेलन से इसकी शुरुआत होगी।
स्वरोजगार की योजनाएं क्यों परवान नहीं चढ़ पा रही हैं, इसे लेकर सरकार गंभीरता से चिंतन-मनन कर रही है। हाल में यह बात सामने आई थी कि राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप योजनाओं के मानक न होने अथवा जटिलताओं के कारण दिक्कतें आ रही हैं। इस कड़ी में मानकों को शिथिल करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में पलायन निवारण आयोग को राज्य के सफल उद्यमियों से संपर्क कर सुझाव लेने के निर्देश दिए थे।
उद्यमियों के साथ होगा विमर्श
पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी के अनुसार सफल उद्यमियों से हमें यह जानने का अवसर मिलेगा कि उन्हें उद्यम स्थापना में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्वरोजगार की योजनाओं के कौन से मानकों को शिथिल करने से स्वरोजगार की रफ्तार बढ़ेगी। उद्यमियों के साथ विमर्श में आने वाले सुझावों के आधार पर सरकार को स्वरोजगार की योजनाओं के मानकों में शिथिलीकरण के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इसके लिए सफल उद्यमियों के सम्मेलनों की रूपरेखा तय की गई है। पहला सम्मेलन पांच व छह दिसंबर को पौड़ी में होगा, जिसमें पौड़ी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों के लगभग 50 उद्यमी आमंत्रित किए गए हैं। इनमें से कुछ ऐसे प्रवासी भी हैं, जिन्होंने घर वापसी कर यहां उद्यम स्थापित किया है।