प्रदेश सरकार थूक जिहाद पर नियंत्रण के लिए सख्ती से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को इस प्रकार के मामलों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर राज्य के मौजूदा कानून में कड़े प्रविधान जोड़ने की समीक्षा करने के लिए भी कहा है।
यदि नए प्रविधान शामिल किए जाते हैं, तो सरकार संशोधित अध्यादेश ला सकती है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
प्रदेश में थूक जिहाद के कई मामले सामने आए हैं
हाल के दिनों में प्रदेश में थूक जिहाद के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें खाद्य पदार्थों में थूकने की घटनाएं शामिल हैं। इन बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव गृह शैलेश बगौली और पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार के साथ बैठक की। उन्होंने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
पुलिस महानिदेशक का सख्त निर्देश: खाद्य पदार्थों में थूकने की घटनाओं पर रोक
पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने सभी जिलों और रेलवे के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर होटल, ढाबों और अन्य व्यावसायिक संस्थानों में खाद्य और पेय पदार्थों में थूकने की घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
रसोईघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे
इस पत्र में कहा गया है कि सभी होटल और ढाबों में कार्यरत व्यक्तियों का शत-प्रतिशत सत्यापन किया जाए। इसके अलावा, रसोईघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए व्यवसाय प्रबंधकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। खोखों और रेहड़ियों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अभिसूचना इकाई की मदद ली जाएगी।
गश्त और पेट्रोलिंग के दौरान भी इन पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर खाद्य विभाग के सहयोग से होटल और ढाबों की आकस्मिक जांच की जाएगी।
कानूनी कार्रवाई का प्रावधान
यदि इस प्रकार की गतिविधियाँ पाई जाती हैं, तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 274 (खाद्य अथवा पेय पदार्थों में मिलावट) और 81 उत्तराखंड पुलिस एक्ट (सार्वजनिक स्थानों पर असुविधा पैदा करने वाले अपराध) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यदि इस कृत्य से धार्मिक, जातीय, भाषाई आदि प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 196(1) (जातीय आधार पर घृणा फैलाना) या 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के अंतर्गत भी कार्रवाई की जाएगी।