किसी भी रोग के कारण सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इस प्रकार, बहुत से लोग रोग ठीक होने के बाद भी डिप्रेशन का सामना करते हैं। डिप्रेशन के कारण कई बार लोगों को आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। किसी भी रोग से जूझना और फिर स्वास्थ्य पर वापसी एक बहुत ही कठिन और दुखद अनुभव हो सकता है। इसके बाद, जब आप अपने रोग से बाहर आते हैं, तो कई बार एक अवस्था आती है जब आप महसूस करते हैं कि आपका शारीरिक स्थिति ठीक हो गई है, लेकिन मानसिक रूप से आप अभी भी उलझन में हैं। एक अनिश्चितता की भावना आपके अंदर घुस जाती है, जिसके कारण रात के समय नींद नहीं आती है। ऐसी स्थिति में, यह डिप्रेशन की एक प्रकार की भावना हो सकती है।
बीमारी के बाद डिप्रेशन के विभिन्न कारण
1. शारीरिक और भावनात्मक थकावट: बीमारी का सामना करने के बाद, शारीरिक कमजोरी और लंबी अवस्था में रहने के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है।
2. उपचार की चिंता: बीमारी के इलाज में उलझन और चिंता की स्थिति में रहना भी डिप्रेशन को बढ़ा सकता है।
3. सोशल और परिवारिक प्रभाव: बीमारी के कारण गायब हो जाने से समाजिक संबंधों में कमी आ सकती है, जो अकेलापन और डिप्रेशन का कारण बन सकती है।
4. उतार-चढ़ाव के भावनात्मक पहलू: रोग के इलाज के दौरान अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव के अनुभव भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।
बीमारी के बाद होने वाले डिप्रेशन से ऐसे निपटें:
1. सहायक समर्थन: अपने परिवार और दोस्तों से सहायता मांगें और उनसे अपनी भावनाओं को साझा करें।
2. नियमित व्यायाम: योग और व्यायाम जैसी ध्यानाभ्यास की गतिविधियों को अपनाएं, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती हैं।
3. सक्रिय रहें: समाजिक कार्यक्रमों और अन्य सक्रिय गतिविधियों में शामिल होकर अकेलापन को दूर करें।
4. अच्छे खानपान का ध्यान रखें: स्वस्थ आहार लें और पर्याप्त पानी पिएं, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों का स्वास्थ्य बना रहे।
5. ध्यान दें: मन को शांति और स्थिरता प्राप्त करने के लिए मेधावी या मानसिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ के साथ ध्यान या चिकित्सा की अभिनयन करें।