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सीएम धामी ने कहा उत्तराखण्ड में 9 नवंबर से पहले समान नागरिक संहिता होगी लागू

यदि 6 महीने की अवधि में भी चुनाव नहीं हो पाए, तो प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। निकाय चुनाव अक्टूबर में प्रस्तावित हैं। इसके अलावा, त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल इस वर्ष नवंबर में समाप्त हो रहा है। इन दोनों चुनावों के अलग-अलग होने से राज्य को एक बार शहरी क्षेत्र और दूसरी बार ग्रामीण क्षेत्रों में आचार संहिता का सामना करना पड़ेगा।

उत्तराखंड सरकार नगर और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को ननूरखेड़ा स्थित एससीईआरटी सभागार में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि प्रदेश भाजपा संगठन ने इस प्रस्ताव को पेश किया है कि यदि निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कर दिए जाएं, तो राज्य को दो बार चुनावी आचार संहिता का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इस प्रस्ताव पर अभी विचार किया जा रहा है और सरकार जल्द ही इस पर निर्णय लेगी। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने यह भी पुष्टि की कि राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) से पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी।

नवंबर में समाप्त हुआ कार्यकाल

नगर निकायों का कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर में समाप्त हो चुका था, जिसके बाद सरकार ने इन्हें प्रशासकों के अधीन कर दिया था। जब छह महीने की अवधि में भी चुनाव नहीं हो पाए, तो प्रशासकों के कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया।

अब निकाय चुनाव अक्टूबर में प्रस्तावित हैं। इसके अलावा, त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल भी इस वर्ष नवंबर में समाप्त होने वाला है। यदि दोनों चुनाव अलग-अलग होते हैं, तो राज्य को एक बार शहरी क्षेत्रों और दूसरी बार ग्रामीण क्षेत्रों में आचार संहिता का सामना करना पड़ेगा।

सीएम ने कहा- जल्द लिया जाएगा निर्णय

कुछ समय पहले प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्ताव पेश किया कि यदि नगर और पंचायत चुनाव एक साथ कर दिए जाएं, तो आचार संहिता एक ही बार लागू होगी। इससे विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे और यह अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन सकता है। शुक्रवार को ननूरखेड़ा में मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि पार्टी संगठन के इस प्रस्ताव पर विचार चल रहा है और जल्द ही एक निर्णय लिया जाएगा।

एक अन्य सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने पुष्टि की कि राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी। केदारनाथ में आई आपदा पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग पर हुए नुकसान के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सरकारी मशीनरी के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों और कई स्वयं सहायता समूहों ने युद्धस्तर पर बचाव और राहत कार्य किए हैं। सरकार इस आपदा को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और आज भी बड़े पैमाने पर बचाव और मलबा हटाने का कार्य जारी है।

 

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